चंडीगढ़, 7 मई: भारत के सैन्य इतिहास में एक ऐसा क्षण आया है जिसे दशकों तक याद रखा जाएगा। आतंकवाद के खिलाफ छेड़े गए एक साहसिक और सटीक सैन्य अभियान—‘ऑपरेशन सिंदूर’—ने भारत की सैन्य रणनीति, परिपक्वता और संकल्प का ऐसा प्रदर्शन किया है, जिसकी गूंज सीमाओं के पार तक सुनाई दी है।
इस ऑपरेशन के बाद आज, मंगलवार सुबह 10 बजे, रक्षा मंत्रालय द्वारा एक महत्वपूर्ण प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की जा रही है। इस प्रेस ब्रीफिंग में इस मिशन से जुड़ी विस्तृत जानकारी, रणनीति, लक्ष्यों और उसके प्रभावों के बारे में देश को अवगत कराया जाएगा। इस ब्रीफिंग की तैयारी उच्च स्तर पर की गई है और इसमें तीनों सेनाओं के प्रमुखों द्वारा दिए गए विवरणों को समाहित किया जाएगा।
आतंकवाद के खिलाफ सबसे बड़ा जवाब, लेकिन बिना युद्ध के इरादे
‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम देने का निर्णय भारत सरकार द्वारा 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए वीभत्स आतंकी हमले के जवाब में लिया गया था, जिसमें 25 भारतीय नागरिक और एक नेपाली नागरिक की दुखद मौत हो गई थी। यह हमला न केवल मानवता के खिलाफ था, बल्कि भारत की संप्रभुता पर भी एक खुला प्रहार था। इसका उत्तर भारत ने संयम और सटीकता के साथ दिया—ना तो युद्ध की घोषणा की गई, और ना ही किसी देश की सेना को उकसाया गया। यह कार्रवाई सिर्फ और सिर्फ आतंकवादी ठिकानों के खिलाफ की गई थी।
तीनों सेनाओं की एकजुट कार्रवाई
ऑपरेशन की सफलता की सबसे बड़ी वजह तीनों भारतीय सेनाओं—थलसेना, वायुसेना और नौसेना—की अद्वितीय समन्वय क्षमता रही। यह ऑपरेशन रात्रिकालीन था और इसमें हाई-प्रिसीजन म्यूनिशन का प्रयोग किया गया। यह हमला पूरी तरह टारगेटेड था और आतंकवादी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के उन स्थलों को निशाना बनाया गया, जहां से भारत में आतंकी गतिविधियों की योजना बनाई जाती थी।
सूत्रों की मानें तो यह कार्रवाई पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoJK) में मौजूद कुल नौ आतंकवादी ठिकानों पर की गई। बहावलपुर, मुरीदके और सियालकोट जैसे इलाकों में मौजूद आतंकी ढांचे पूरी तरह ध्वस्त कर दिए गए। इन इलाकों में लंबे समय से आतंक की फैक्ट्रियां चल रही थीं।
प्रधानमंत्री की सीधी निगरानी
इस पूरे अभियान के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं पल-पल की जानकारी लेते रहे। रातभर ऑपरेशन की प्रगति पर नजर बनाए रखने के साथ-साथ उन्होंने सभी आवश्यक फैसले लिए और सेनाओं को हरसंभव सहयोग सुनिश्चित किया। यह एक ऐसी स्थिति थी जहां राष्ट्रीय नेतृत्व ने पूरी संवेदनशीलता और निर्णय क्षमता के साथ भूमिका निभाई।
1971 के बाद सबसे गहरी सैन्य कार्रवाई
विशेषज्ञों के अनुसार यह सैन्य अभियान 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद भारत द्वारा पाकिस्तान की ज़मीन के भीतर किया गया सबसे बड़ा और प्रभावशाली सैन्य प्रहार माना जा रहा है। लेकिन फिर भी इस अभियान में युद्ध को भड़काने का कोई प्रयास नहीं किया गया। एक रणनीतिक और संतुलित दृष्टिकोण के तहत, केवल वही लक्ष्य चुने गए जो आतंकवाद के केंद्र थे।
आज का दिन बेहद महत्वपूर्ण
रक्षा मंत्रालय की सुबह 10 बजे की प्रेस ब्रीफिंग इसलिए भी अहम मानी जा रही है क्योंकि इसमें सरकार ऑपरेशन से जुड़ी रणनीति, लक्ष्य, परिणाम और भविष्य की योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी देगी। इससे न केवल देशवासियों को इस ऑपरेशन की गंभीरता का अंदाज़ा लगेगा, बल्कि दुनिया को भी यह संदेश जाएगा कि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ ‘चुप नहीं बैठेगा’, बल्कि सोच-समझकर निर्णायक कार्रवाई करेगा।