Farmers protest in Punjab : धान की खरीद और डी. ए.पी. खाद की कमी के मुद्दे पर सरकार की अनदेखी के खिलाफ किसानों ने आज पंजाब भर में बड़े शहरों को जोड़ने वाले मुख्य मार्गों को जाम करने का निर्णय लिया है।
यह जाम दोपहर 1 बजे से शाम 4 बजे तक रहेगा, जिसके कारण यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस आंदोलन की घोषणा
किसान-मजदूर मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा गैर राजनीतिक के नेताओं ने चंडीगढ़ में एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस आंदोलन की घोषणा की।
इस मौके पर किसान नेता सरवन सिंह पंधेर, सुरजीत सिंह फूल, सतनाम सिंह बहिरू और मंजीत सिंह राय ने सरकार की नीतियों पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की।
उन्होंने कहा कि सरकार धान की खरीद में जानबूझकर गड़बड़ी कर रही है,
जिससे किसानों को सरकारी खरीद से निराश किया जा रहा है
और उन्हें प्राईवेट खिलाड़ियों के सामने कमजोर किया जा रहा है।
Farmers protest in Punjab : मंशा सड़कें जाम करने की नहीं
किसान नेताओं ने स्पष्ट किया कि उनकी मंशा सड़कें जाम करने की नहीं है,
लेकिन आज का मुद्दा किसानों की जिंदगी और मौत से जुड़ा हुआ है।
उन्होंने कहा, “हम सड़क जाम नहीं करना चाहते, लेकिन जब सरकार हमारी मांगों को नजरअंदाज कर रही है,
तो हमें यह कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।”
मुख्यमार्गों पर जाम की इस कार्रवाई का असर पूरे पंजाब में देखने को मिलेगा।
मोगा, संगरूर, फगवाड़ा और बटाला जैसे प्रमुख शहरों में सड़कें जाम कर प्रदर्शन किया जाएगा।
नेताओं ने बताया कि अगर किसी का यात्रा करने का कार्यक्रम है,
तो उन्हें पहले से सोचना चाहिए, क्योंकि यह जाम बड़े पैमाने पर होगा।
किसान संगठनों का आरोप
किसान संगठनों का आरोप है कि पिछले कुछ महीनों में सरकार ने खाद्य सुरक्षा को नजरअंदाज किया है,
जिससे किसान संकट में हैं। डी. ए.पी. खाद की कमी के कारण उनकी फसलें प्रभावित हो रही हैं।
किसान चाहते हैं कि सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से ले और तुरंत समाधान प्रदान करे।
किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों का समाधान नहीं होता है, तो वे और भी सख्त कदम उठाने पर मजबूर हो सकते हैं।
उन्होंने सभी किसानों और मजदूरों से इस आंदोलन में शामिल होने की अपील की है।
पंजाब के विभिन्न जिलों में किसानों की स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने पहले से ही सुरक्षा इंतजाम कर लिए हैं।
सरकार का कहना है कि वह किसानों की समस्याओं को समझती है और जल्द ही इस पर कार्रवाई की जाएगी।
लेकिन किसान नेताओं ने कहा है कि यह केवल वादे हैं,
जो अब तक उनके लिए किसी भी तरह से फायदेमंद साबित नहीं हुए हैं।