चंडीगढ़, 5 मई: रविवार का दिन हरिद्वार के पवित्र घाट, हर की पौड़ी के लिए कुछ विशेष बन गया, जब देश की नामचीन औद्योगिक हस्ती और रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के निदेशक अनंत अंबानी अपनी पत्नी राधिका मर्चेंट के साथ यहां पहुंचे। दोनों ने श्रद्धा और भक्ति के साथ मां गंगा की विधिवत पूजा-अर्चना की, जिसमें पुरोहितों ने वैदिक मंत्रों के साथ पूरे पूजन क्रम को संपन्न कराया।
इस आध्यात्मिक यात्रा के दौरान अनंत और राधिका ने मां गंगा में दुग्धाभिषेक कर आशीर्वाद प्राप्त किया और अपने परिवार सहित समस्त जनकल्याण की प्रार्थना की। घाट पर इस विशेष अवसर के लिए सुरक्षा व्यवस्था को अत्यधिक सुदृढ़ किया गया था, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि धार्मिक क्रियाकलाप बिना किसी व्यवधान के संपन्न हो सकें।
गंगा सभा, हरिद्वार के महासचिव तन्मय वशिष्ठ ने अंबानी दंपति की इस यात्रा पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अनंत अंबानी केवल एक सफल उद्योगपति ही नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति के समर्थक और संवाहक भी हैं। उन्होंने कहा, “हम कामना करते हैं कि मां गंगा का आशीर्वाद सदैव उनके और उनके परिवार के साथ बना रहे, और वे जीवन में आगे बढ़ते रहें, समाज और धर्म की सेवा करते रहें।”
पूजा संपन्न होने के बाद, अनंत अंबानी गंगा सभा के कार्यालय पहुंचे, जहां उन्होंने विजिटर बुक में अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने लिखा कि हर की पौड़ी आकर उन्हें आत्मिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव हुआ। उन्होंने मां गंगा की दिव्यता और सभा द्वारा किए जा रहे प्रबंधन की सराहना करते हुए गंगा सभा को धन्यवाद भी दिया।
इस मौके पर गंगा सभा की ओर से उन्हें गंगाजल और एक पवित्र गंगा चुनरी भेंट की गई, जो उनकी इस यात्रा की स्मृति के रूप में दी गई।
धार्मिक यात्राओं से अनंत अंबानी का जुड़ाव नया नहीं है। इससे पहले भी वे गुजरात में जामनगर से द्वारका तक लगभग 170 किलोमीटर लंबी एक पदयात्रा कर चुके हैं। उस यात्रा के दौरान उन्होंने बताया था कि जब उन्होंने अपने पिता मुकेश अंबानी से इस यात्रा की इच्छा जाहिर की, तो उन्हें पूरा समर्थन और शक्ति मिली। उन्होंने कहा था, “मेरे पिताजी ने मुझे आशीर्वाद दिया, और उनके सहयोग से ही मैं इस पदयात्रा को पूरा कर सका।” उस यात्रा के दौरान उनकी मां नीता अंबानी और पत्नी राधिका मर्चेंट भी उनके साथ थीं, जब वे द्वारकाधीश मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचे थे।
इन यात्राओं से यह स्पष्ट होता है कि अनंत अंबानी आध्यात्मिक मूल्यों को जीवन में प्रमुख स्थान देते हैं। वह आधुनिकता और परंपरा के संतुलन के प्रतीक के रूप में उभरते जा रहे हैं, जो देश की युवा पीढ़ी के लिए भी एक प्रेरणा बन सकते हैं।