आधुनिक शोध के अनुसार, भारत में लगभग 60-70 प्रतिशत महिलाएँ मासिक धर्म से संबंधित समस्याओं का सामना करती हैं, जैसे अनियमित मासिक धर्म, अत्यधिक या कम रक्तस्राव, और असहनीय दर्द (कष्टार्तवं)। इनमें से अधिकांश समस्याएँ अनुचित आहार और तनावपूर्ण जीवनशैली के कारण होती हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, माहवारी के पहले तीन दिनों में महिला को सुपाच्य और पौष्टिक आहार लेना चाहिए। इसमें शाली चावल, जौ का दलिया, देसी गाय का दूध और घी जैसे पोषक तत्व शामिल करने से लाभ होता है। आयुर्वेदिक उपचार के अनुसार, मसालेदार, तला-भुना, अत्यधिक नमकीन और जंक फूड से दूर रहना चाहिए। इसके साथ ही, आराम और मानसिक शांति बनाए रखना आवश्यक है।
आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में भी यह सिद्ध हो चुका है कि स्वस्थ आहार और योग का अभ्यास महिलाओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहायक हो सकता है। विशेष रूप से पीसीओडी (PCOD) जैसी समस्याओं में 40-50 प्रतिशत तक सुधार देखा गया है।
राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, पंचकूला में महिलाओं से संबंधित विभिन्न स्त्री रोगों का उपचार आयुर्वेदिक पद्धतियों से किया जाता है। यहाँ के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग में मासिक धर्म विकार, पीसीओडी, हार्मोनल असंतुलन, बांझपन, गर्भाशय व अंडाशय की गांठों का उपचार, स्तन रोग और गर्भावस्था की देखभाल जैसी सेवाएं उपलब्ध हैं।
आयुर्वेद न केवल रोगों का इलाज करता है, बल्कि उनके मूल कारणों को जड़ से समाप्त करने पर भी ध्यान देता है। यदि आपको या आपके परिवार की किसी महिला को मासिक धर्म विकार, प्रजनन संबंधी समस्याएँ, गर्भावस्था की देखभाल या प्रसवोत्तर देखभाल की आवश्यकता हो, तो राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान की विशेषज्ञ ओपीडी सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं। यहाँ आपको प्राकृतिक, सुरक्षित और प्रभावी आयुर्वेदिक चिकित्सा द्वारा संपूर्ण स्वास्थ्य समाधान मिलेगा।
स्त्री स्वास्थ्य केवल एक महिला की भलाई तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे समाज की समृद्धि से जुड़ा हुआ है। इसलिये हमें आयुर्वेद के सिद्धांतों का पालन करके अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए और समाज में इसकी महत्ता को बढ़ावा देना चाहिए।