बॉर्डर पर अपनों से मुंह मोड़ा पाकिस्तान, फंसे बुजुर्ग और बच्चे बेहाल!

चंडीगढ़, 1 मई:  भारत और पाकिस्तान के बीच स्थित अटारी-वाघा बॉर्डर पर एक नई कूटनीतिक तनातनी सामने आई है, जिसने दोनों देशों के आपसी संबंधों को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है। इस बार विवाद की जड़ खुद पाकिस्तान की वह गैरजिम्मेदाराना हरकत है, जिसमें उसने अपने ही नागरिकों को बॉर्डर पार लेने से इनकार कर दिया।

जानकारी के मुताबिक, यह मामला 1 मई की सुबह उस वक्त सामने आया जब कई पाकिस्तानी नागरिक, जो भारत में रहकर अपने देश लौटने की प्रक्रिया में थे, बॉर्डर पर पहुंच गए। लेकिन पाकिस्तान की ओर से उन्हें लेने के लिए कोई नहीं आया। भारत के इमीग्रेशन अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तान ने अचानक सुबह 8 बजे से अपना रिसीविंग काउंटर बंद कर दिया। इसके चलते दर्जनों पाकिस्तानी नागरिक, जिनमें महिलाएं, बुजुर्ग और छोटे बच्चे शामिल हैं, सीमा पर फंसे रह गए।

इन लोगों की स्थिति अत्यंत दयनीय है। उनके पास न तो रात गुजारने का कोई इंतज़ाम है, न ही खाने-पीने की सुविधा उपलब्ध है। तापमान बढ़ रहा है, और खुले आसमान के नीचे ये लोग मानसिक और शारीरिक तौर पर परेशान हो रहे हैं। पाकिस्तान की इस असंवेदनशीलता की जमकर आलोचना हो रही है। सोशल मीडिया पर लोग इस व्यवहार को अमानवीय और शर्मनाक करार दे रहे हैं।

भारत सरकार की ओर से इस स्थिति को लेकर संयम बरता गया है। गृह मंत्रालय ने यह स्पष्ट किया है कि भारत अपने यहाँ मौजूद पाकिस्तानी नागरिकों को सुरक्षित रूप से लौटने की अनुमति देता रहेगा। भले ही पहले 30 अप्रैल से बॉर्डर बंद करने का निर्देश था, लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए उस निर्णय में ढील दी गई है और अटारी-वाघा बॉर्डर को खुला रखने का फैसला किया गया है।

पाकिस्तानी नागरिकों को लौटने से रोकने का यह निर्णय उस भयावह घटना के बाद आया है, जो 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुई थी। उस आतंकवादी हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान गई थी। भारत की खुफिया रिपोर्ट्स में इस हमले को पाकिस्तान की धरती से संचालित आतंकवाद से जोड़कर देखा गया था। उसी के बाद भारत ने पाकिस्तान के प्रति सख्ती दिखाते हुए न केवल कई वीजा रद्द किए, बल्कि पाकिस्तान से लौटने वाले नागरिकों की संख्या में भी तेजी आई।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पिछले एक सप्ताह में करीब 800 पाकिस्तानी नागरिक भारत से पाकिस्तान लौट चुके हैं। इन लोगों में 55 राजनयिक और उनके परिवार व स्टाफ भी शामिल हैं। दूसरी ओर, लगभग 1,500 भारतीय नागरिक भी पाकिस्तान से भारत आ चुके हैं।

गृह मंत्री अमित शाह ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से संवाद किया और यह निर्देश दिया कि किसी भी पाकिस्तानी नागरिक को उसकी वीजा अवधि के बाद भारत में रुकने की अनुमति न दी जाए। इससे यह संदेश साफ है कि भारत सुरक्षा और कानून के मामले में किसी तरह की ढिलाई नहीं बरतने वाला।

बॉर्डर पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है और इमीग्रेशन विभाग अलर्ट मोड में है। भारत एक जिम्मेदार देश की तरह व्यवहार कर रहा है, जबकि पाकिस्तान का यह रवैया न केवल राजनयिक मर्यादाओं के खिलाफ है, बल्कि अपने नागरिकों के प्रति भी असंवेदनशीलता को दर्शाता है।