चंडीगढ़, 10 मई: भारतीय क्रिकेट को लेकर एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जिसने देशभर के क्रिकेट प्रेमियों को सोच में डाल दिया है। बात हो रही है टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और हर भारतीय की धड़कन, विराट कोहली की। रिपोर्ट्स के अनुसार, कोहली ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने का मन बना लिया है। इस फैसले की जानकारी उन्होंने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को भी दे दी है।
हालांकि अभी यह फैसला पूरी तरह से अंतिम नहीं कहा जा सकता, क्योंकि बोर्ड ने उन्हें सलाह दी है कि वह एक बार फिर से सोच-विचार करें। लेकिन अगर कोहली अपने निर्णय पर टिके रहते हैं, तो यह भारतीय टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में एक बहुत बड़ी और भावनात्मक विदाई होगी।
हालिया फॉर्म: क्या प्रदर्शन ने किया मजबूर?
कोहली के इस फैसले के पीछे सबसे बड़ी वजह मानी जा रही है उनका टेस्ट फॉर्म, जो पिछले कुछ समय से उनके करियर की ऊंचाइयों से काफी दूर है। हाल ही में संपन्न हुई बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 2024-25 में कोहली का प्रदर्शन उनके नाम के अनुरूप नहीं रहा।
उन्होंने 9 पारियों में सिर्फ 190 रन बनाए और उनका औसत मात्र 23.75 रहा, जो किसी भी लिहाज से विराट के स्तर का नहीं माना जाएगा। कई बार वह एक जैसी गेंदों पर आउट होते रहे—खासकर ऑफ स्टंप के बाहर की गेंदों पर। यह तकनीकी कमजोरी अब लंबे समय से नजर आ रही है और शायद यही उन्हें मानसिक रूप से भी परेशान कर रही हो।
पिछले 5 वर्षों के आंकड़े देखें तो उन्होंने 37 टेस्ट मैच खेले, लेकिन सिर्फ 3 शतक ही लगा पाए। उनका करियर औसत भी 35 से नीचे आ चुका है, जो यह बताता है कि कोहली टेस्ट क्रिकेट में अपनी चिर-परिचित लय खो चुके हैं।
आईपीएल में लाजवाब फॉर्म, लेकिन टेस्ट में ठहराव
इस साल के IPL 2025 सीज़न में कोहली ने अपने बल्ले से खूब धमाल मचाया है। उन्होंने 11 मैचों में 505 रन बना लिए हैं, और उनकी स्ट्राइक रेट से लेकर शॉट सिलेक्शन तक, सबकुछ पुराने विराट जैसा लग रहा है।
यह फर्क साफ दिखाई देता है कि कोहली T20 और सीमित ओवरों के फॉर्मेट में पूरी तरह फिट और सहज नजर आ रहे हैं, लेकिन जब बात टेस्ट क्रिकेट की होती है, तो कहीं न कहीं वह संघर्ष करते दिखते हैं। शायद यहीं से यह सवाल उठता है—क्या विराट को अब टेस्ट क्रिकेट का मानसिक और शारीरिक भार भारी लगने लगा है?
विराट कोहली का टेस्ट करियर: गर्व और प्रेरणा की कहानी
विराट कोहली ने अपने टेस्ट करियर की शुरुआत 2011 में की थी और तब से लेकर अब तक उन्होंने 123 टेस्ट मैचों में 9,230 रन बना दिए हैं। इसमें 30 शतक और 31 अर्धशतक शामिल हैं। उन्होंने टीम को मुश्किल दौरों में जीत दिलाई—चाहे ऑस्ट्रेलिया की ज़मीन पर ऐतिहासिक जीत हो, या इंग्लैंड में संघर्ष के बीच चमकती पारियां।
उनकी कप्तानी के दौर को भारतीय टेस्ट इतिहास का सबसे आक्रामक, आत्मविश्वासी और पेशेवर दौर माना जाता है। उन्होंने सिर्फ एक बल्लेबाज के रूप में ही नहीं, एक प्रेरणास्रोत और लीडर के रूप में भी टीम को एक नई दिशा दी। उनके कप्तान रहते हुए भारत लंबे समय तक टेस्ट रैंकिंग में नंबर 1 रहा और भारत को WTC जैसे प्रतियोगिताओं में मजबूती से पहुंचाया।
क्या रोहित और कोहली की विदाई एक युग का अंत है?
रोहित शर्मा के पहले ही टेस्ट क्रिकेट से विदा लेने के बाद अगर कोहली भी संन्यास ले लेते हैं, तो यह साफ संकेत होगा कि भारतीय टेस्ट क्रिकेट एक नये युग में प्रवेश कर रहा है। ऐसे खिलाड़ी, जो वर्षों तक भारतीय क्रिकेट की पहचान बने रहे—अब उनके जूते भरने की जिम्मेदारी युवा खिलाड़ियों पर होगी।
विराट और रोहित जैसे खिलाड़ियों की जगह लेना सिर्फ तकनीक से नहीं, अनुभव, मानसिक मजबूती और जुनून से संभव होता है। टीम मैनेजमेंट के लिए यह एक बहुत बड़ी चुनौती होगी कि वह टेस्ट टीम को संतुलन और दिशा में स्थायित्व कैसे दे।
BCCI की कोशिश और फैंस की उम्मीद
फिलहाल BCCI ने कोहली से यह अनुरोध किया है कि वह एक बार फिर से सोचें और जल्दबाजी में फैसला न लें। बोर्ड को उम्मीद है कि कोहली वापसी का रास्ता तलाश सकते हैं। वहीं, उनके फैंस भी दिल थामकर इंतजार कर रहे हैं कि शायद यह खबर महज अफवाह निकले, या कोहली फिर से एक बार मैदान पर ‘विराट’ वापसी करें।