चंडीगढ़, 24 अप्रैल: “गांव हमारी आत्मा हैं, परंपरा हैं, और आत्मनिर्भर भारत की नींव भी”, ये शब्द हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी ने पंचकूला में आयोजित राज्य स्तरीय ग्राम उत्थान समारोह के दौरान कहे। राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के मौके पर यह आयोजन सिर्फ एक सरकारी कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह गांवों को आत्मनिर्भर और आधुनिक भारत का सक्रिय भागीदार बनाने की नई शुरुआत थी।
शुरुआत श्रद्धांजलि से, संकल्प तक पहुंचा समारोह
कार्यक्रम की शुरुआत उस दर्द को साझा करते हुए हुई, जो पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को दिया। मुख्यमंत्री समेत हज़ारों प्रतिनिधियों ने दो मिनट का मौन रखकर 26 मासूम नागरिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की, जो इस हमले में जान गंवा बैठे। यह क्षण केवल शोक का नहीं, बल्कि संकल्प का प्रतीक भी बना—कि गांवों की सुरक्षा, विकास और समृद्धि अब सिर्फ योजना नहीं, जन-आंदोलन बनें।
मुख्यमंत्री सैनी का स्पष्ट संदेश – “गांव मजबूत तो देश मजबूत”
मुख्यमंत्री ने गांवों को विकास की धुरी बताते हुए कहा:
“2047 के विकसित भारत के सपने को अगर हमें 2047 से पहले ही साकार करना है, तो यह तभी होगा जब हमारे गांव आत्मनिर्भर, शिक्षित, स्वस्थ और डिजिटल बनेंगे।”
उन्होंने पंचायत प्रतिनिधियों से कहा कि वे केवल निर्वाचित नेता नहीं, गांव की आत्मा के संरक्षक हैं।
महिला शक्ति की झलक – 50% भागीदारी, नई उड़ान
कार्यक्रम की एक अनोखी बात यह रही कि 50 प्रतिशत प्रतिनिधि महिलाएं थीं। मुख्यमंत्री ने इसे “सच्चे महिला सशक्तिकरण की मिसाल” कहा। उन्होंने कहा कि जब पंचायतों में महिलाएं आगे आएंगी, तो गांवों में शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता और नैतिक मूल्यों का स्तर भी ऊपर उठेगा।
पंचायतों को मिला धन और दिशा – विकास की रफ्तार बढ़ी
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368 करोड़ रुपये के विकास कार्यों की सौगात
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923 नए प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन, 413 कार्यों का शिलान्यास
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573 करोड़ रुपये की स्टांप ड्यूटी से पंचायतों को सीधी हिस्सेदारी
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511 ग्राम पंचायतों को महिला चौपाल निर्माण के लिए 18.28 करोड़ रुपये
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41,591 नए लाभार्थियों को पेंशन, 12.59 करोड़ सीधे खातों में
मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा, “पैसे की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी। जरूरत है ईमानदारी और जवाबदेही से काम करने की।”
‘गैप फंड’ और हर गांव तक सुविधाएं
उन पंचायतों को ध्यान में रखते हुए जिनके पास पर्याप्त राशि नहीं है, राज्य सरकार ने ‘गैप फंड’ योजना के तहत 583 करोड़ रुपये सीधे पंचायत खातों में ट्रांसफर किए हैं। हर गांव में ई-लाइब्रेरी, स्ट्रीट लाइट, इंडोर जिम, सांस्कृतिक केंद्र, और सड़क सुधार कार्यों का विस्तार किया जाएगा।
डिजिटल, पारदर्शी और सामाजिक रूप से ज़िम्मेदार पंचायतें
कार्यक्रम के अंत में, विकास एवं पंचायत विभाग के सचिव डॉ. अमित अग्रवाल ने कहा:
“गांव अब केवल कृषि केंद्र नहीं, नवाचार और समृद्धि के मॉडल बन रहे हैं। हमारी पंचायती राज संस्थाएं डिजिटल हो रही हैं, पारदर्शिता आ रही है, जवाबदेही बढ़ रही है। अब पंचायतें सिर्फ विकास नहीं, समाज सुधार की भी जिम्मेदारी निभाएं।”
मुख्य घोषणाएं एक नज़र में:
✅ हर पंचायत में न्यूनतम 21 लाख रुपये की राशि सुनिश्चित
✅ पूरे प्रदेश में नशा मुक्ति अभियान में पंचायतों की भागीदारी अनिवार्य
✅ महिला सांस्कृतिक केंद्र 1000 गांवों में
✅ ई-लाइब्रेरी, शमशान घाट/कब्रिस्तान की चारदीवारी, तालाबों का जीर्णोद्धार
✅ आयुष्मान योजना, हर घर जल, हर गांव बिजली – मिशन मोड पर
“मेरा गांव – मेरी जिम्मेदारी, मेरा देश – मेरा अभिमान”
पंचायतों को अब सिर्फ योजनाओं के लाभार्थी नहीं, योजनाओं के सृजनकर्ता और संचालक के रूप में देखना होगा। आज जब देश 2047 के विकसित भारत की ओर बढ़ रहा है, तो गांवों का सशक्त और आधुनिक होना न सिर्फ ज़रूरी है, बल्कि अनिवार्य है।