2025 का इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) सीजन वैसे तो कई रोमांचक मुकाबलों और चौंकाने वाले पलों से भरा रहा, लेकिन अगर किसी एक खिलाड़ी की कहानी ने सबसे ज़्यादा दिलों को छुआ, तो वो है वैभव सूर्यवंशी की।
सिर्फ 14 साल की उम्र में आईपीएल जैसे विश्वस्तरीय मंच पर कदम रखने वाले इस युवा क्रिकेटर ने न केवल अपने हुनर से सभी को हैरान किया, बल्कि अपने जोश, जज़्बे और आत्मविश्वास से भी करोड़ों दिलों को जीत लिया।
वैभव का सफर एक परीकथा जैसा लग सकता है — एक बच्चे ने सीधे दुनिया की सबसे बड़ी क्रिकेट लीग में डेब्यू किया और अपने पहले ही सीजन में बड़े-बड़े अनुभवी खिलाड़ियों को पछाड़ दिया। राजस्थान रॉयल्स की ओर से खेलने वाले इस युवा बल्लेबाज़ ने सात मुकाबलों में जो प्रदर्शन किया, वो किसी सपने से कम नहीं था।
सात मैचों में आंधी की तरह बल्लेबाज़ी
वैभव सूर्यवंशी ने जब बल्ला थामा, तो गेंदबाज़ों के होश उड़ गए। उन्होंने अपने पहले ही आईपीएल सीजन में 7 मैचों में 252 रन बना डाले — और वो भी 206.55 की स्ट्राइक रेट के साथ। यह आंकड़ा केवल एक संख्या नहीं है, बल्कि उस आत्मविश्वास का प्रतीक है जो वैभव जैसे युवा खिलाड़ी में भरा हुआ है।
उनका औसत 36 का रहा, लेकिन जो चीज़ सबसे ज़्यादा चर्चा में रही वो थी उनकी छक्के मारने की काबिलियत। वैभव ने कुल 24 छक्के जड़े, जो अब तक किसी भी नाबालिग खिलाड़ी द्वारा लगाए गए सर्वाधिक छक्कों का रिकॉर्ड है। इससे पहले यह रिकॉर्ड ऋषभ पंत के नाम था, जिन्होंने 20 साल की उम्र से पहले इतने छक्के लगाए थे। लेकिन वैभव ने महज 14 साल में ही यह आंकड़ा छू लिया।
आखिरी मैच, अधूरा सपना
आईपीएल 2025 के लीग चरण के अंतिम मुकाबले में राजस्थान रॉयल्स का सामना हुआ चेन्नई सुपर किंग्स से। इस मैच में वैभव ने एक बार फिर दिखाया कि वो सिर्फ एक क्षणिक चमक नहीं हैं, बल्कि भविष्य के सितारे हैं। उन्होंने 33 गेंदों पर 57 रन की शानदार पारी खेली, जिसमें 4 चौके और 4 छक्के शामिल थे।
उनके शॉट्स इतने दमदार और सटीक थे कि मैदान पर मौजूद हर दर्शक झूम उठा — यहां तक कि चेन्नई के दिग्गज कप्तान महेंद्र सिंह धोनी भी उनकी बल्लेबाज़ी देखकर तालियां बजाते दिखे। यह पल हर क्रिकेट प्रेमी के लिए भावुक था — एक युवा खिलाड़ी जिसे देखकर धोनी जैसे आइकॉन ने सराहना की।
लेकिन क्रिकेट कभी-कभी क्रूर हो सकता है। जब वैभव ने रविचंद्रन अश्विन की गेंद पर रवींद्र जडेजा को कैच थमाया, तो उनका चेहरा मायूस हो गया। आउट होते ही जब वह पवेलियन लौटे, उनकी आंखों में आंसू साफ़ झलक रहे थे।
उन्होंने बाद में बताया कि उनकी ख्वाहिश थी कि वे टीम को जीत दिलाकर नाबाद लौटें — लेकिन किस्मत को शायद कुछ और मंज़ूर था।
एक कहानी जो शुरू होकर दिलों में बस गई
भले ही राजस्थान रॉयल्स का सफर लीग स्टेज पर ही थम गया हो, लेकिन वैभव सूर्यवंशी ने अपने छोटे से करियर में जो छाप छोड़ी है, वो हमेशा याद रखी जाएगी। उनके भीतर जो जुनून है, वो किसी बड़े खिलाड़ी से कम नहीं। उनकी प्रतिभा, आत्मविश्वास और मैदान पर उनकी मासूम सी मुस्कान ने पूरे देश को उनका दीवाना बना दिया।
आईपीएल के इतिहास में शायद यह पहली बार हुआ है जब कोई खिलाड़ी अपनी उम्र से कहीं ज्यादा परिपक्वता और जज़्बा लेकर खेला हो। वैभव का इस सीजन से बाहर होना ज़रूर दुखद है, लेकिन उन्होंने जो शुरुआत की है, वो आने वाले समय में भारतीय क्रिकेट को एक नया सितारा दे सकती है।