चंडीगढ़, 5 अप्रैल: उत्तराखंड में भाजपा सरकार ने राज्य की विभिन्न समितियों और परिषदों में 18 नेताओं को नए दायित्व सौंपे हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मंजूरी के बाद इन नामों की घोषणा की गई है, जिसका उद्देश्य जनकल्याणकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करना है।
नए दायित्वों की पूरी सूची:
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गीता रावत – राज्यस्तरीय सतर्कता समिति की अध्यक्ष
भूमिका: सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन की निगरानी करना और भ्रष्टाचार के खिलाफ सतर्क रहना। -
बलवीर घुनियाल – उपाध्यक्ष, जड़ी-बूटी सलाहकार समिति
भूमिका: राज्य में जड़ी-बूटियों के प्रचार-प्रसार और उनके औषधीय उपयोग को बढ़ावा देना। -
सुरेन्द्र मोघा – उपाध्यक्ष, पशु कल्याण बोर्ड
भूमिका: पशुओं की सुरक्षा और कल्याण से जुड़ी योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन। -
भुवन विक्रम डबराल – उपाध्यक्ष, जड़ी-बूटी सलाहकार समिति
भूमिका: जड़ी-बूटियों के खेती, संरक्षण और उपयोग पर विशेष ध्यान देना। -
सुभाष बड़थ्वाल – उपाध्यक्ष, राज्य निर्माण आंदोलनकारी सम्मान परिषद
भूमिका: राज्य निर्माण में योगदान देने वाले सम्मानित व्यक्तियों का सम्मान और प्रेरणा देना। -
पुनीत मित्तल – उपाध्यक्ष, नगरीय पर्यावरण संरक्षण परिषद
भूमिका: नगरों में पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता अभियानों को बढ़ावा देना। -
गिरीश डोभाल – उपाध्यक्ष, प्रदेशीय मौन परिषद
भूमिका: क्षेत्रीय मौन (शांतिपूर्ण) पहल और जन जागरूकता अभियान को आयोजित करना। -
गीता राम गौड़ – उपाध्यक्ष, जनजाति सलाहकार परिषद
भूमिका: जनजातीय समुदायों के कल्याण और विकास के लिए नीतियों का सुझाव देना। -
डॉ. जयपाल – उपाध्यक्ष, उत्तराखंड राज्य उच्च शिक्षा उन्नयन समिति
भूमिका: राज्य के उच्च शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने और छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना। -
देशराज कर्णवाल – उपाध्यक्ष, समाज कल्याण योजनाएं एवं अनुश्रवण समिति
भूमिका: समाज कल्याण से जुड़ी योजनाओं की निगरानी और लाभार्थियों तक पहुंच सुनिश्चित करना। -
अजीत चौधरी – उपाध्यक्ष, उत्तराखंड राज्य किसान आयोग
भूमिका: किसानों के हितों की रक्षा करना और कृषि संबंधित नीतियों का विकास करना। -
शंकर कोरंगा, प्रताप सिंह पंवार, महेश्वर सिंह महरा आदि अन्य नेताओं को भी महत्वपूर्ण समितियों में उपाध्यक्ष या सह-अध्यक्ष के पद पर नियुक्त किया गया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इन बदलावों से राज्य में जनकल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी आएगी, जिससे सरकारी योजनाओं की निगरानी में सुधार होगा और आम जनता तक योजनाओं का लाभ अधिक प्रभावी ढंग से पहुंच सकेगा।