चंडीगढ़, 27 मई: अगर आप रोज़ाना UPI ऐप्स जैसे Google Pay, PhonePe या Paytm से पेमेंट करते हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद अहम है। 31 जुलाई 2025 से नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) कुछ बड़े बदलाव करने जा रहा है, जो आपकी रोज़मर्रा की डिजिटल पेमेंट आदतों को सीधे प्रभावित करेंगे।
इन नए नियमों के तहत बैलेंस चेक करने की सीमा, ऑटोपे की समय-सीमा, और ट्रांजैक्शन स्टेटस ट्रैकिंग जैसी सुविधाएं अब सीमित की जाएंगी।
NPCI का कहना है कि यह कदम तेजी से बढ़ते डिजिटल ट्रैफिक और सिस्टम लोड को कंट्रोल करने के लिए उठाया गया है, ताकि UPI नेटवर्क को ज्यादा सुरक्षित और स्थिर बनाया जा सके।
क्यों जरूरी हुए ये बदलाव?
डिजिटल इंडिया की सफलता के साथ ही रोज़ाना करोड़ों लोग UPI ऐप्स का इस्तेमाल करते हैं। खासकर सुबह और शाम के व्यस्त समय में बैंक सर्वर पर भारी लोड पड़ता है। ऐसे में नेटवर्क फेल्योर, लेनदेन की देरी और सर्विस स्लोडाउन जैसी समस्याएं आम होती जा रही हैं।
इन्हीं समस्याओं से निपटने के लिए NPCI ने यह फैसला लिया है कि कुछ सामान्य लेकिन अधिक इस्तेमाल होने वाले फीचर्स पर लिमिट लगाई जाए।
कौन-कौन सी सेवाएं होंगी सीमित? जानिए नया नियम
1. बैलेंस चेक पर नई सीमा
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अब आप एक दिन में किसी भी एक ऐप से अधिकतम 50 बार ही अपना बैंक बैलेंस देख पाएंगे।
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सबसे व्यस्त समय (सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे और शाम 5 बजे से रात 9:30 बजे तक) के दौरान बैलेंस चेक की सुविधा सीमित या पूरी तरह बंद हो सकती है।
2. ट्रांजैक्शन स्टेटस बार-बार नहीं देख पाएंगे
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अगर आपका कोई ट्रांजैक्शन फेल या पेंडिंग हो गया, तो अब आप उसका स्टेटस सिर्फ दो घंटे में अधिकतम 3 बार ही चेक कर पाएंगे।
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यह रोक इसलिए लगाई गई है क्योंकि ज़्यादा बार स्टेटस चेक करने से भी सर्वर पर अनावश्यक लोड पड़ता है।
3. ऑटोपे सिर्फ नॉन-पीक समय में
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OTT सब्सक्रिप्शन, SIP, बीमा या किसी अन्य नियमित पेमेंट के लिए UPI ऑटोपे का इस्तेमाल अब केवल कम ट्रैफिक वाले समय में ही किया जा सकेगा।
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हर ऑटोपे मैन्डेट के लिए सिर्फ 3 बार प्रयास (retry) की इजाज़त होगी।
बैंकों पर भी आई नई जिम्मेदारी
NPCI ने बैंकों को निर्देश दिए हैं कि हर सफल ट्रांजैक्शन के बाद ग्राहकों को बैलेंस अलर्ट भेजा जाए, ताकि लोग बार-बार बैलेंस चेक न करें।
साथ ही, कुछ मामलों में जहां सिस्टम में एरर के बावजूद ट्रांजैक्शन फंसा हुआ हो, बैंक को ऐसे मामलों को फेल मानते हुए तुरंत क्लियर करना होगा।
क्यों जरूरी हैं ये बदलाव?
इन बदलावों के पीछे एक ही मकसद है — UPI जैसी क्रांतिकारी सुविधा को भरोसेमंद और टिकाऊ बनाए रखना।
जैसे-जैसे देश डिजिटल लेनदेन की दिशा में आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे सिस्टम पर लोड भी बढ़ रहा है। अगर तकनीकी आधार मजबूत न रहे, तो आने वाले समय में नेटवर्क स्लोडाउन या पेमेंट फेल्योर जैसी दिक्कतें और भी बढ़ सकती हैं।
इसलिए NPCI ने इन छोटे-छोटे, लेकिन असरदार कदमों के जरिए भविष्य की स्थिरता और सुचारु सेवा सुनिश्चित करने की कोशिश की है।
UPI यूज़र्स ध्यान दें:
फीचर | नया नियम |
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बैलेंस चेक | 50 बार/दिन, पीक टाइम में सीमित |
ट्रांजैक्शन स्टेटस | 2 घंटे में 3 बार ही चेक संभव |
UPI ऑटोपे | केवल नॉन-पीक समय में प्रोसेस होगा |
बैंक की भूमिका | हर ट्रांजैक्शन के बाद बैलेंस अलर्ट जरूरी |