अब दिल नहीं, दस्तावेज़ देखेगा System! Court Marriage पर UP सरकार की ये नई Guideline जारी!

चंडीगढ़, 10 जून: उत्तर प्रदेश में अब प्रेमी जोड़ों के लिए कोर्ट मैरिज करना पहले जितना आसान नहीं रह गया है। राज्य सरकार ने विवाह पंजीकरण की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करते हुए कुछ सख्त नियम लागू कर दिए हैं। अब बिना परिवार की जानकारी या सहमति के की गई शादी के लिए एक लंबी औपचारिक प्रक्रिया से गुजरना होगा। यह फैसला हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक अहम आदेश के बाद लिया गया, जिसे राज्य सरकार ने गंभीरता से लेते हुए एक आधिकारिक शासनादेश के रूप में लागू कर दिया है।

क्यों ज़रूरी हुआ ये बदलाव?

पिछले कुछ समय से उत्तर प्रदेश में फर्जी विवाह के कई मामले सामने आ रहे थे। खासकर ऐसे मामले, जिनमें युवक-युवती बिना परिवार की सहमति के कहीं भी जाकर शादी कर लेते थे—कभी किसी आर्य समाज मंदिर में, तो कभी बिना पंजीकृत संस्थानों के जरिए। अक्सर ये शादियां बाद में विवादों, धोखाधड़ी या ब्लैकमेलिंग का कारण बन जाती थीं। गाजियाबाद जैसे जिलों में तो ऐसे कई केस सामने आए हैं, जहां शादी कराने वाले ट्रस्टों पर भी फर्जीवाड़े के आरोप लगे हैं।

ऐसी घटनाओं को रोकने और शादी की पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी और सुरक्षित बनाने के लिए सरकार ने अब कुछ नए और सख्त नियम बनाए हैं।

अब शादी से पहले क्या-क्या होगा ज़रूरी?

1. परिवार की मौजूदगी अनिवार्य

अब कोई भी शादी तभी रजिस्टर्ड मानी जाएगी, जब दूल्हा-दुल्हन में से किसी एक के परिवार का कोई सदस्य, जैसे कि माता-पिता, भाई-बहन, दादा-दादी या बालिग संतान, मौके पर उपस्थित हो। उनकी मौजूदगी के बिना विवाह का पंजीकरण नहीं किया जाएगा।

2. विवाह स्थल और पता

अब शादी का रजिस्ट्रेशन उसी जिले में किया जाएगा, जहाँ दूल्हा या दुल्हन के माता-पिता स्थायी रूप से रहते हैं। यानी अब कोई भी कहीं भी जाकर शादी करके रजिस्ट्रेशन नहीं करा सकेगा।

3. बिना सहमति की शादी के लिए अतिरिक्त प्रमाण

यदि शादी माता-पिता की मर्जी के बिना हो रही है, तो शादी करवाने वाले व्यक्ति—जैसे कि पुरोहित, मौलवी या पादरी—को शपथ पत्र देना होगा जिसमें शादी की जानकारी प्रमाणित की जाएगी। ज़रूरत पड़ने पर उन्हें रजिस्ट्रेशन ऑफिस में गवाही देने के लिए भी बुलाया जा सकता है।

4. शादी की वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य

अब शादी की पूरी वीडियो रिकॉर्डिंग एक पेन ड्राइव में जमा करनी होगी। साथ ही, विवाह प्रमाणपत्र पर एक विशेष मुहर भी लगाई जाएगी जिससे उसकी असली होने की पुष्टि की जा सके।

ज़मीनी स्तर पर भी दिखने लगा असर

गाजियाबाद के सब-रजिस्ट्रार राहुल शुक्ला ने बताया कि उन्होंने अपने दफ्तर में इन नए नियमों का नोटिस लगा दिया है और एक अलग रजिस्टर भी तैयार किया जा चुका है। अब हर कपल को पूरी प्रक्रिया नियमों के तहत ही पूरी करनी होगी। यानी अब जल्दबाज़ी या चोरी-छिपे की गई शादियां आसान नहीं रहेंगी।

कोर्ट के फैसले के पीछे की कहानी

इन नियमों का आधार बना एक केस—शनिदेव बनाम उत्तर प्रदेश सरकार। इस मामले में कोर्ट ने उन करीब 150 उदाहरणों का जिक्र किया, जिनमें युवक-युवती परिवार की मर्जी के बिना भागकर शादी कर लेते थे और बाद में ऐसे रिश्ते धोखाधड़ी, उत्पीड़न या कानूनी विवाद में बदल जाते थे। कोर्ट ने साफ कहा कि शादी सिर्फ दो लोगों की मर्जी का मामला नहीं रह गया है; उसमें पारिवारिक और सामाजिक दायित्व भी शामिल हैं।

क्या है इन बदलावों का असली मकसद?

सरकार के मुताबिक, इन सख्त नियमों का उद्देश्य शादी की प्रक्रिया को सुरक्षित, पारदर्शी और जिम्मेदार बनाना है। अब विवाह सिर्फ एक भावनात्मक फैसला नहीं रहेगा, बल्कि उसमें समाज और परिवार की भूमिका भी स्पष्ट रूप से शामिल की जाएगी।

इससे फर्जी शादी, जबरदस्ती, धोखाधड़ी और बाद के झगड़ों से जुड़े मामलों में कमी आएगी। यह उन युवाओं के लिए भी चेतावनी है जो जल्दबाज़ी में फैसला लेकर बाद में पछताते हैं।