पटाखों की गूंज, पराली का धुआं: दीवाली और गुरुपर्व के बाद Tricity का प्रदूषण चरम पर!

चंडीगढ़ Tricity की हवा हुई ‘जहरीली’
Diwali और Gurpurab के बाद चंडीगढ़, पंचकूला और मोहाली की हवा खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है।
पटाखों की आतिशबाजी और पंजाब-हरियाणा में पराली जलाने से निकलने वाला धुआं Tricity के आसमान को धुंधला कर रहा है।
हर साल यह समस्या त्योहारों के मौसम में और भी गंभीर हो जाती है, लेकिन इस बार स्थिति पहले से बदतर नजर आ रही है।

बढ़ता वायु प्रदूषण : आंकड़े बताते हैं सच्चाई (Tricity)

वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के अनुसार, पिछले हफ्ते तक चंडीगढ़ की हवा “मध्यम” श्रेणी में थी,
लेकिन दीवाली और गुरुपुरब के बाद इसका स्तर 265 हो गया। इतना AQI “खतरनाक” श्रेणी में आता है,
जो खासकर बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा व फेफड़ों के रोगियों के लिए अत्यधिक हानिकारक है।
पंचकूला और मोहाली का हाल भी कुछ अलग नहीं है।

प्रमुख कारण:

1. पटाखों की आतिशबाजी :

दीवाली और गुरुपुरब के दौरान रातभर फोड़े गए पटाखों ने हवा में सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे जहरीले गैसों की मात्रा बढ़ा दी।
यह न केवल हवा की गुणवत्ता को खराब करता है, बल्कि सांस से जुड़ी बीमारियों को भी बढ़ाता है।

2. पराली का धुआं :

हरियाणा और पंजाब के किसानों द्वारा पराली जलाने से निकलने वाला धुआं चंडीगढ़ तक पहुंच रहा है।
सर्दियों में ठंडी हवाओं के कारण यह धुआं नीचे रुक जाता है,
जिससे प्रदूषण बढ़ जाता है।

3. वाहनों और निर्माण कार्य का असर :

त्योहारी सीजन के दौरान बाजारों में भीड़ और निजी वाहनों का अत्यधिक उपयोग भी प्रदूषण का कारण बनता है।
इसके अलावा, त्रिसिटी में चल रहे विभिन्न निर्माण कार्यों से उड़ने वाली धूल समस्या को और गंभीर बना रही है।

स्वास्थ्य पर प्रभाव

खराब वायु गुणवत्ता का सबसे अधिक असर उन लोगों पर पड़ता है जो पहले से ही स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं।
डॉक्टरों के अनुसार, निम्नलिखित बीमारियां और समस्याएं बढ़ रही हैं:
•सांस लेने में तकलीफ
•आंखों में जलन
•गले में खराश और खांसी
•अस्थमा और ब्रोंकाइटिस के मामलों में वृद्धि
•लंबे समय में हृदय और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों का खतरा

समाधान की दिशा में कदम (Tricity)

1. पराली प्रबंधन :

पराली जलाने की समस्या को सुलझाने के लिए किसानों को जागरूक करना और उन्हें वैकल्पिक उपाय प्रदान करना जरूरी है।
सरकार को पराली प्रबंधन मशीनों की सब्सिडी बढ़ानी चाहिए।

2. पटाखों पर सख्त नियंत्रण :

इको-फ्रेंडली पटाखों को बढ़ावा देने और सामान्य पटाखों पर प्रतिबंध लगाने की दिशा में सख्त कदम उठाए जाने चाहिए।

3. सार्वजनिक परिवहन का उपयोग :

निजी वाहनों की संख्या कम करने के लिए लोग सार्वजनिक परिवहन का अधिक से अधिक उपयोग करें।
साथ ही इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया जाए।

4. जागरूकता अभियान :

स्कूलों, कॉलेजों और मीडिया के माध्यम से लोगों को वायु प्रदूषण के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करना चाहिए।

जनता से अपील

“त्योहारों को खुशियों के साथ मनाना हमारी परंपरा है,
लेकिन इसे पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी के साथ मनाना हमारी जिम्मेदारी है।
पटाखों से बचें और स्वच्छ हवा में सांस लेने का हक सबको दें।”
Sakshi Dutt:

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