Tax में बड़ी राहत: 1 जून से लागू होगी नई छूट, निर्यातकों के लिए सुनहरा अवसर!

चंडीगढ़, 27 मई: भारत सरकार ने एक बार फिर निर्यातकों के हित में एक बड़ा और दूरगामी निर्णय लिया है, जो न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक मंच पर मजबूती देगा, बल्कि लाखों छोटे-बड़े निर्यात कारोबारियों को राहत भी प्रदान करेगा। 1 जून 2025 से निर्यात की जाने वाली वस्तुओं पर केंद्र सरकार की ओर से दी जा रही कर छूट (Tax Exemption) को पुनः लागू किया जा रहा है। इस निर्णय का सीधा फायदा SEZ (विशेष आर्थिक क्षेत्र), EOU (निर्यात-उन्मुख इकाइयों) और AEO (Authorised Economic Operators) को मिलेगा।

फिर से मिलेगी कर छूट – हर निर्यातक को मिलेगा बराबरी का अवसर

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के मुताबिक, पहले यह टैक्स छूट सिर्फ 5 फरवरी 2025 तक ही सीमित थी, लेकिन निर्यातकों और उद्योग निकायों की मांग को देखते हुए इसे अब 1 जून 2025 से आगे तक लागू किया जा रहा है। इस फैसले से न केवल निर्यात लागत में कमी आएगी, बल्कि भारत के उत्पाद अंतरराष्ट्रीय बाजारों में और अधिक प्रतिस्पर्धी बन सकेंगे।

RODTEP योजना बनी रीढ़ – पारदर्शिता और डिजिटल ट्रैकिंग से बदलाव की बयार

इस टैक्स राहत का मुख्य आधार बनी है सरकार की RODTEP योजना (Remission of Duties and Taxes on Exported Products)। यह योजना पहली बार जनवरी 2021 में शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य कोविड-19 के बाद निर्यातकों को राहत देना और उनके घाटे की आंशिक भरपाई करना था।

  • WTO नियमों के तहत डिजाइन की गई यह योजना उन अप्रत्यक्ष करों और शुल्कों की भरपाई करती है, जो अब तक किसी भी अन्य योजना के तहत रिफंड नहीं किए जाते थे।

  • पूरी प्रक्रिया डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से संचालित होती है, जिससे पारदर्शिता बनी रहती है और सिस्टम का दुरुपयोग नहीं होता।

₹18,233 करोड़ का बजट – सभी श्रेणियों के उत्पादों को मिलेगा लाभ

सरकार ने वर्ष 2025-26 के लिए इस योजना के अंतर्गत ₹18,233 करोड़ का भारी भरकम बजट भी जारी किया है। यह बजट लगभग 10,780 घरेलू टैरिफ लाइनें और 10,795 विशेष श्रेणी की एचएस लाइनें कवर करेगा, जिससे विभिन्न क्षेत्रों के निर्यातकों को इसका लाभ मिल सकेगा।

भारत के लिए निर्यात बढ़ाने का सुनहरा अवसर

वैश्विक परिदृश्य में जिस तरह से सप्लाई चेन में बदलाव आ रहा है, यह भारत के लिए एक बड़ा अवसर है। एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की मिड-टेक (मध्यम तकनीक आधारित), लेबर-इंटेंसिव (श्रम आधारित) और कंज़्यूमर-फोकस्ड (उपभोक्ता केंद्रित) इंडस्ट्रीज को इस फैसले से काफी फायदा होगा।

  • टेक्सटाइल, हैंडीक्राफ्ट्स, इंजीनियरिंग गुड्स, एग्रो प्रोडक्ट्स जैसे क्षेत्र वैश्विक बाजार में और तेज़ी से अपनी पकड़ बना सकते हैं।

  • अब भारत केवल घरेलू मांग तक सीमित नहीं है, बल्कि यह वैश्विक आपूर्ति प्रणाली का एक विश्वसनीय स्तंभ बनता जा रहा है।

सरकार की सोच – आत्मनिर्भर भारत और वैश्विक पहचान का संगम

यह फैसला केवल कर राहत नहीं, बल्कि भारत को “मैन्युफैक्चरिंग हब” बनाने की दिशा में एक और मजबूत कदम है। इससे ‘मेक इन इंडिया’ और ‘एक्सपोर्ट फ्रॉम इंडिया’ जैसी पहलों को नई ऊर्जा मिलेगी।