चंडीगढ़, 23 मई: तमन्ना भाटिया, जो अपनी अदाकारी से न केवल बॉलीवुड बल्कि दक्षिण भारतीय सिनेमा में भी एक खास पहचान बना चुकी हैं, इस बार किसी फिल्म को लेकर नहीं बल्कि एक साबुन ब्रांड के प्रचार के चलते विवादों में घिर गई हैं। कर्नाटक सरकार द्वारा उन्हें मैसूर सैंडल सोप का ब्रांड एंबेसडर बनाए जाने के फैसले ने राज्य में राजनीति और सामाजिक भावनाओं का पिटारा खोल दिया है।
एक साबुन, और राज्यभर में छिड़ गई बहस
मैसूर सैंडल सोप—एक ऐसा नाम जिसे कर्नाटक की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान का प्रतीक माना जाता है। 1916 में शुरू हुआ यह साबुन न केवल अपनी गुणवत्ता बल्कि अपने गहरे क्षेत्रीय जुड़ाव के लिए भी जाना जाता है। ऐसे में जब सरकार ने इस ब्रांड का प्रचार करने के लिए तमन्ना भाटिया को चुना, जो न तो कर्नाटक से हैं और न ही कन्नड़ सिनेमा की मूल प्रतिनिधि, तो कई लोगों की भावनाएं आहत हुईं।
सरकार की तरफ से जैसे ही अधिसूचना जारी हुई कि तमन्ना को दो सालों के लिए इस ब्रांड का चेहरा बनाया गया है और उन्हें इसके एवज में 6.2 करोड़ रुपये की राशि दी जाएगी, विरोध की आवाज़ें तेज हो गईं।
स्थानीय कलाकारों की अनदेखी पर उठे सवाल
सबसे बड़ी आपत्ति इस बात को लेकर जताई गई कि कर्नाटक में मौजूद इतने सारे प्रतिभाशाली कलाकारों में से किसी को चुना क्यों नहीं गया? दीपिका पादुकोण जैसी विश्वप्रसिद्ध अभिनेत्री, जिनकी जड़ें खुद इस राज्य से जुड़ी हैं, को नजरअंदाज करना कई लोगों को खल गया।
कर्नाटक रक्षण वेदिके के अध्यक्ष टी. नारायण गौड़ा ने इस फैसले को राज्य के आत्म-सम्मान के खिलाफ बताया और चेतावनी दी कि यदि सरकार ने यह फैसला वापस नहीं लिया, तो पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे।
फिल्म निर्माता कविता लंकेश ने भी इस नियुक्ति पर निराशा जताते हुए कहा, “यह इस बात को दर्शाता है कि हम बॉलीवुड और बाहरी ग्लैमर के प्रति कितने मोहित हैं। कर्नाटक में खूबसूरती और प्रतिभा की कोई कमी नहीं, अगर सरकार संस्कृति की रक्षा करना चाहती है तो कई स्थानीय कलाकार इस ब्रांड का मुफ्त में प्रचार करने को तैयार होते।”
सरकार और कंपनी का पक्ष: राष्ट्रीय स्तर की सोच
इस आलोचना के जवाब में, कर्नाटक सोप्स एंड डिटर्जेंट्स लिमिटेड (KSDL) के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. प्रशांत पी.के.एम. ने कहा कि यह फैसला सोच-समझकर और व्यापारिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। उन्होंने बताया कि KSDL का सालाना 1800 करोड़ का कारोबार है, जिसमें से सिर्फ 12% बिक्री कर्नाटक में होती है। ऐसे में कंपनी राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बढ़ाना चाहती है, और तमन्ना भाटिया उस प्रोफ़ाइल में एकदम फिट बैठती हैं।
राज्य के मंत्री एमबी पाटिल और एचके पाटिल ने भी इस कदम का समर्थन किया और कहा कि यह निर्णय ब्रांड को भारत भर में मजबूत करने की दिशा में एक रणनीतिक कदम है, जिससे अंततः राज्य को ही लाभ होगा।
फिलहाल, इस मुद्दे पर बहस थमने का नाम नहीं ले रही। जहां एक ओर सरकार अपने फैसले पर कायम है, वहीं दूसरी ओर स्थानीय संगठनों का गुस्सा और कन्नड़ गौरव की भावना विरोध को और भी मजबूत बना रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार अपने निर्णय पर कायम रहती है या विरोध की आवाजों के आगे झुकती है।