Chhath Puja Kharna : छठ पूजा की शुरुआत मंगलवार को नहाय-खाय के साथ हो चुकी है, और बुधवार को खऱना का पावन पर्व मनाया जा रहा है।
खऱना छठ पूजा का दूसरा दिन है और इसे सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है।
इस दिन व्रती श्रद्धालु दिन भर का निर्जला व्रत रखते हैं और शाम को सूर्य देव को अर्घ्य देकर इसे खोलते हैं।
खऱना में प्रसाद के रूप में चावल की खीर (जिसमें गुड़ का इस्तेमाल होता है), रोटी और फल बनाए जाते हैं।
यह प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी और घी के साथ पकाया जाता है, जो इसकी पवित्रता को और बढ़ाता है।
Chhath Puja Kharna : सूर्य देव और छठी मइया को अर्पित
आपको बता दे कि खऱना के प्रसाद का विशेष महत्व होता है।
इसे सबसे पहले सूर्य देव और छठी मइया को अर्पित किया जाता है,
और फिर परिवार और आस-पड़ोस के लोगों में बाँटा जाता है।
सादगी और शुद्धता से बना यह प्रसाद प्रकृति और ईश्वर के प्रति समर्पण का प्रतीक है।
खऱना का पावन अनुष्ठान मन, आत्मा और शरीर की शुद्धि का प्रतीक माना जाता है,
जिससे भक्त अपनी आस्था को सूर्य की ऊर्जा से जोड़ते हैं।
कठिन व्रत और प्रार्थनाएँ भक्तों में विनम्रता और आस्था की भावना को दर्शाती हैं,
और स्वास्थ्य, समृद्धि और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।
छठ पूजा और इसके अनुष्ठानों जैसे खऱना से लोगों में सामूहिक भक्ति की भावना उत्पन्न होती है,
जो सभी क्षेत्रीय और सांस्कृतिक सीमाओं को पार करते हुए एकता का संदेश देती है।