सूरजकुंड मेले में शिल्प का जलवा, दुनिया देखेगी भारत की कला की छटा!

Haryana Surajkund Mela 2025

Haryana Surajkund Mela 2025: हरियाणा के सूरजकुंड में 38वें अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेले का भव्य आगाज़ हो गया है।

इस मेले का उद्घाटन केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने किया,

जबकि हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी समेत कई गणमान्य हस्तियां इस आयोजन का हिस्सा बनीं।

7 फरवरी से 23 फरवरी तक चलने वाले इस मेले में देश-विदेश के कलाकार अपनी अनूठी कला और शिल्प का प्रदर्शन करेंगे।

उद्घाटन समारोह में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि सूरजकुंड मेला केवल एक बाजार नहीं,

बल्कि भारत की प्राचीन कला और संस्कृति को जीवंत बनाए रखने का मंच है।

उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के संकल्प को यह मेला पूरी तरह साकार कर रहा है।”

Haryana Surajkund Mela 2025:भारत की कला का वैश्विक मंच

शेखावत ने कहा कि यह मेला भारतीय शिल्पकारों और दस्तकारों को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभा रहा है।

उन्होंने बताया कि पिछले 10 वर्षों में भारत की वैश्विक छवि बदली है और अब हम दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था हैं।

उन्होंने कहा, “सूरजकुंड मेला भारतीय कला को दुनिया के हर कोने तक पहुंचाने का जरिया बन रहा है।”

इस मौके पर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि सूरजकुंड मेला सिर्फ हरियाणा की नहीं, बल्कि पूरे भारत की पहचान बन चुका है।

“यह मेला ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना को साकार करता है

और भारत की सांस्कृतिक समृद्धि को दुनिया के सामने प्रस्तुत करता है,” उन्होंने कहा।

इस बार दो थीम राज्य और बिम्सटेक देशों की भागीदारी

हर साल एक राज्य और एक देश को इस मेले की थीम बनाया जाता था, लेकिन इस बार ओडिशा और मध्य प्रदेश को संयुक्त रूप से थीम स्टेट बनाया गया है।

वहीं, बिम्सटेक (BIMSTEC) देशों—भारत, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, म्यांमार,

थाईलैंड और श्रीलंका—की भागीदारी ने इस आयोजन को और भव्य बना दिया है।

Haryana Surajkund Mela 2025: हस्तशिल्प से डिजिटल युग तक का सफर

केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि डिजिटल मार्केटिंग के माध्यम से इस मेले की पहुंच को और बढ़ाया जाना चाहिए।

उन्होंने सुझाव दिया कि यूट्यूबर्स और फोटोग्राफर्स को मेले का प्रचार करने के लिए आमंत्रित किया जाए,

जिससे कलाकारों को एक बड़ा बाजार मिल सके।

मुख्यमंत्री सैनी ने कहा कि शिल्पकारों को अपनी कला को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़ना चाहिए।

“आज ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के जरिए दूर-दराज के कारीगर भी अपने उत्पादों को वैश्विक बाजार में बेच सकते हैं,” उन्होंने कहा।

पर्यटन और रोजगार को मिलेगा बढ़ावा

पर्यटन मंत्री डॉ. अरविंद शर्मा ने कहा कि सूरजकुंड मेला सिर्फ कला और शिल्प का मेला नहीं,

बल्कि यह भारत के पर्यटन और रोजगार को बढ़ावा देने वाला मंच भी है।

उन्होंने बताया कि इस बार 51 से अधिक देशों के शिल्पकार इसमें हिस्सा ले रहे हैं,

जिससे यह मेला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और भी खास हो गया है।

Haryana Surajkund Mela 2025:संस्कृति, परंपरा और विरासत का संगम

मुख्यमंत्री ने कहा कि सूरजकुंड मेला भारत की संस्कृति, परंपरा और विरासत को एक साथ जोड़ने वाला मंच है।

उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार शिल्पकारों को प्रोत्साहित करने के लिए ‘माटी कला बोर्ड’ और ‘स्वापन आजीविका मार्ट’ जैसे कई कदम उठा रही है,

ताकि स्थानीय कारीगरों को उनके हुनर का उचित मूल्य मिल सके।

मेला बनेगा ‘शिल्प महाकुंभ’

इस बार के आयोजन को ‘शिल्प महाकुंभ’ का नाम दिया गया है, जहां हर क्षेत्र के कारीगर अपने हुनर का प्रदर्शन करेंगे।

हस्तशिल्प, हथकरघा, लोक नृत्य, संगीत, पारंपरिक व्यंजन और भारतीय ग्रामीण खेलों का भी इस मेले में समावेश किया गया है।

सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला सिर्फ एक व्यापारिक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक पहचान और कारीगरों की मेहनत का जश्न भी है।

यह मेला दुनिया को भारत की समृद्ध कलात्मक धरोहर से परिचित कराने का सुनहरा अवसर है।

जब तक सूरजकुंड मेला रहेगा, भारत की शिल्पकला यूं ही चमकती रहेगी!