“कसाब को भी मिली थी निष्पक्ष सुनवाई” – यासीन मलिक के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा !

सुप्रीम कोर्ट ने आज टिप्पणी करते हुए कहा कि 26/11 के आतंकवादी अजमल कसाब को भी इस देश में निष्पक्ष सुनवाई मिली थी, और यही प्रक्रिया yasin malik के मामले में भी लागू होनी चाहिए।

मलिक को जम्मू की अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया गया था, जिसे सीबीआई ने चुनौती दी है।

क्या है पूरा मामला?

चलिए आपको बताते है यह मामला 1990 में श्रीनगर के बाहरी इलाके में भारतीय वायुसेना के चार कर्मियों की हत्या

और 1989 में तत्कालीन गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण से जुड़ा हुआ है।

और इन्ही मामलों में यासीन मलिक मुख्य आरोपी है।

इसके चलते अभी मलिक फिलहाल दिल्ली की तिहाड़ जेल में आतंकवादी फंडिंग के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है।

2022 में आतंकवादी गतिविधियों और तबाह करने वाली गतिविधियों से संबंधित मामलों की सुनवाई करते हुए

अदालत ने मलिक को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए कहा।

और हैरानी की बात ये है कि मलिक भी इस आदेश का पालन करने पर पूरी तरह से मान गए ।

yasin malik  : CBI ने क्यों उठाई आपत्ति?

उनके इस फैसले पर CBI ने जम्मू की अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए कहा

कि मलिक की शारीरिक उपस्थिति जम्मू-कश्मीर में माहौल को खराब कर सकती है

और साथ ही गवाहों को खतरे में डाल सकती है।

केंद्रीय एजेंसी के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, “हम उसे जम्मू कश्मीर नहीं ले जाना चाहते हैं।

” इस पर न्यायमूर्ति A.S ओका ने सवाल किया,

“लेकिन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई कैसे की जा सकती है?

” कोर्ट ने जम्मू में इंटरनेट कनेक्टिविटी की खराब स्थिति को ध्यान में रखते हुए यह सवाल उठाया।

सॉलिसिटर जनरल मेहता ने यह भी सुझाव दिया कि अगर मलिक व्यक्तिगत रूप से पेश होने पर अड़े रहते हैं,

तो मुकदमा दिल्ली में किया जा सकता है।

उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि मलिक व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आग्रह करके “चालें” चल रहे हैं।

अदालत का रुख

तुषार मेहता ने मलिक को “सिर्फ एक और आतंकवादी नहीं” बताते हुए यह भी कहा कि वह पाकिस्तान जाते थे

और हाफिज़ सईद के साथ मंच साझा करते थे।

इस पर न्यायमूर्ति ओका ने जवाब दिया, “हमारे देश में, अजमल कसाब को भी निष्पक्ष सुनवाई दी गई थी।

” अदालत ने इस बात को स्पष्ट किया कि कानून सभी के लिए समान है

और किसी भी आरोपी को निष्पक्ष सुनवाई का पूरा अधिकार है।

इसके बाद पीठ ने सुझाव देते हुए कहा कि यासीन मलिक की सुनवाई के लिए जेल में एक अदालत स्थापित की जा सकती है।

अदालत ने केंद्र सरकार से पूछा कि इस मामले में कितने गवाह पेश होंगे

और उनकी सुरक्षा के लिए क्या इंतजाम किए जाएंगे।

कोर्ट ने यह भी कहा कि यह देखा जाए कि जेल में सुनवाई के लिए न्यायाधीश को कैसे तैनात किया जाएगा।

मामले की अगली सुनवाई अगले गुरुवार को होगी।

 

Isha Chauhan:

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