कृषि शिक्षा और अनुसंधान का महाकुंभ: शिवराज सिंह चौहान ने किया राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन!

चंडीगढ़, 20 मई: भारत के केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज पूसा, दिल्ली के सुब्रमण्यम सभागार में देशभर के कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के निदेशकों के वार्षिक सम्मेलन का विधिवत शुभारंभ किया। इस अवसर पर कृषि राज्यमंत्री श्री भागीरथ चौधरी, ICAR के महानिदेशक डॉ. एम.एल. जाट सहित परिषद के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

“कृषि अनुसंधान का मंदिर और किसान भगवान हैं” – शिवराज सिंह

श्री चौहान ने अपने उद्घाटन संबोधन में ICAR को “कृषि शिक्षा, अनुसंधान और विस्तार का मंदिर” बताया और कहा कि यदि यह भवन मंदिर है, तो इसके भगवान हमारे किसान हैं, और हम सब उनके सेवक। उन्होंने भावुक शब्दों में कहा:

“किसान अन्नदाता हैं, उनकी मेहनत से हम खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित कर पा रहे हैं। हमारा कर्तव्य है कि हम उनकी ज़िंदगी को बेहतर बनाएं।”

अभियान का लक्ष्य: उत्पादन बढ़े, लागत घटे

श्री चौहान ने “विकसित कृषि संकल्प अभियान” की घोषणा की, जिसका उद्देश्य है:

  • खरीफ फसलों में उत्पादन बढ़ाना

  • किसानों की उत्पादन लागत घटाना

  • आधुनिक और परंपरागत ज्ञान का संतुलन स्थापित करना

  • फील्ड स्तर पर वैज्ञानिकों की उपस्थिति सुनिश्चित करना

उन्होंने बताया कि यह अभियान महज़ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक जन आंदोलन की तरह चलाया जाएगा।

पदयात्रा से जुड़ेगा भारत, किसानों से होगा संवाद

श्री चौहान ने बताया कि वह स्वयं 25 और 26 मई को पदयात्रा पर निकलेंगे ताकि किसानों से सीधा संवाद स्थापित हो सके। उन्होंने कहा:

“अगर हमें लोगों को जोड़ना है, तो पदयात्रा से बढ़िया कोई तरीका नहीं। पैदल चलकर हम किसानों के मन की बात जान सकेंगे।”

शोध से खेत तक – ज्ञान का व्यावहारिक उपयोग ज़रूरी

मंत्री ने जोर देकर कहा कि शोध कार्य केवल पुस्तकों में सिमट कर न रह जाए, बल्कि उसका लाभ धरती पर काम कर रहे किसानों तक पहुंचे।
उन्होंने यह भी कहा कि:

  • यूनिवर्सिटी से निकले छात्रों का एग्रो स्टार्टअप या कृषि व्यवसाय से जुड़ाव का मूल्यांकन किया जाए।

  • पढ़ाई को व्यावहारिक और उद्देश्यपूर्ण बनाया जाए।

  • हर विश्वविद्यालय अपने क्षेत्र में किसानों के लिए ऐप या हेल्पलाइन सेवा शुरू करें।

6 बिंदुओं पर रणनीति: समग्र कृषि विकास की रूपरेखा

केंद्रीय मंत्री ने कृषि सुधार के लिए 6 बिंदुओं की कार्य योजना साझा की:

  1. उत्पादन में वृद्धि

  2. प्रति हेक्टेयर उपज बढ़ाना

  3. उत्पादन लागत में कमी

  4. न्यायोचित मूल्य दिलाना

  5. फूड प्रोसेसिंग में नवाचार

  6. प्राकृतिक खेती और विविधीकरण को बढ़ावा

“एक राष्ट्र, एक कृषि, एक टीम” का मंत्र

श्री चौहान ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत को विश्व का खाद्य भंडार (Food Basket of the World) बनाना है। उन्होंने सभी कृषि संस्थानों से अपील की:

“हमारा मंत्र है – एक राष्ट्र, एक कृषि, एक टीम। हमें मिलकर एक दिशा में काम करना है, तभी भारत आत्मनिर्भर और खाद्य समृद्ध राष्ट्र बनेगा।”

विश्वविद्यालयों को प्रेरित किया प्रतिस्पर्धा के लिए

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सभी कृषि विश्वविद्यालयों को चाहिए कि वे आपस में बेस्ट प्रैक्टिस साझा करें, और यह प्रयास करें कि उनका विश्वविद्यालय भारत के टॉप-3 में शामिल हो। उन्होंने कहा:

“केवल वीसी बनकर संतुष्ट न हों, जब तक परिणाम नहीं आएं, तब तक रुकें नहीं। अगली बैठक में हम रिपोर्ट कार्ड लेकर आएं – हमने जो ठाना था, वह कितना पूरा हुआ।”

धरती की रक्षा, भावी पीढ़ी की जिम्मेदारी

श्री चौहान ने मिट्टी की बिगड़ती सेहत, रासायनिक उपयोग की अधिकता और जलवायु संकट की ओर भी ध्यान दिलाया और कहा कि:

“प्रकृति की सुरक्षा और उत्पादन के बीच संतुलन बनाना ही असली विज्ञान है। हमें धरती को अगली पीढ़ियों के लिए भी उपजाऊ और सुरक्षित बनाना है।”