चंडीगढ़, 2 मई — हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा ने राज्य के किसानों के हित में बड़ा संदेश देते हुए अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि कृषि विभाग की योजनाओं के लिए आवंटित बजट का पूरा उपयोग किया जाए, ताकि उन योजनाओं का लाभ सीधे किसानों तक पहुँच सके। मंत्री ने यह बात चंडीगढ़ में आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक के दौरान कही, जिसकी अध्यक्षता वे स्वयं कर रहे थे।
बैठक में विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजा शेखर वुंडरू सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि कोई भी किसान विभागीय योजनाओं से वंचित न रह जाए, और इसके लिए हर स्तर पर ईमानदारी से प्रयास किए जाएं।
सेमग्रस्त ज़मीन के लिए मछली पालन का सुझाव
राज्य में कई क्षेत्रों में सेम (खारा पानी या जलभराव) की समस्या लंबे समय से चिंता का विषय रही है। इस मुद्दे पर गंभीरता दिखाते हुए कृषि मंत्री ने एक नया दृष्टिकोण अपनाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि सेमग्रस्त ज़मीन का सर्वे कर मछली पालन की संभावनाएं तलाशें।
उन्होंने सुझाव दिया कि ऐसे क्षेत्रों की पंचायतों को प्रोत्साहित किया जाए कि वे मॉडल तालाब बनाकर मछली पालन शुरू करें। यदि इसके सकारात्मक परिणाम मिलते हैं तो इसे राज्यभर में लागू किया जा सकता है, खासकर उन किसानों के लिए जिनकी ज़मीन में खेती करना संभव नहीं रहा।
इसके अलावा, जहां मछली पालन संभव नहीं है और जलभराव बना रहता है, वहां सफेदा के पौधे लगाए जाने की सलाह दी गई है, ताकि जल स्तर को संतुलित किया जा सके और भूमि को पुनः उपयोगी बनाया जा सके।
सेममुक्त भूमि का बड़ा लक्ष्य
कृषि मंत्री ने अधिकारियों को जानकारी दी कि राज्य सरकार ने वर्ष 2025 में एक लाख हेक्टेयर भूमि को सेममुक्त करने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने विशेष रूप से चरखी दादरी, सिरसा और फतेहाबाद जिलों को पूरी तरह से सेममुक्त करने का निर्देश दिया और कहा कि बाकी जिलों में भी इस दिशा में सक्रियता बढ़ाई जाए।
उन्होंने दोहराया कि यह केवल सरकार की नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के विजन का हिस्सा है कि जलभराव वाले क्षेत्रों का समाधान निकाला जाए और मछली पालन जैसे वैकल्पिक व्यवसायों को प्रोत्साहन दिया जाए, ताकि किसानों की आय में वास्तविक वृद्धि हो सके।
खाद और बीज की तैयारी रहे मजबूत
कृषि मंत्री ने आगामी फसलों — खासकर धान और कपास — के सीजन को देखते हुए खाद की उपलब्धता की तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों को स्पष्ट रूप से निर्देश दिया कि किसानों को खाद की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी और इसके लिए पहले से योजनाबद्ध प्रयास किए जाएं।
साथ ही, फसलों के बीज पर मिलने वाले अनुदान के बारे में भी चर्चा की गई। मंत्री ने निर्देश दिए कि किसानों को केवल अच्छी गुणवत्ता का बीज ही उपलब्ध कराया जाए, जिससे पैदावार बेहतर हो सके और किसानों को आर्थिक लाभ मिले।
अन्य योजनाओं पर भी विशेष ध्यान
बैठक के दौरान मंत्री ने मृदा संरक्षण (soil conservation), पराली प्रबंधन, सॉयल हेल्थ कार्ड, और किसानों को दिए जाने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रमों की भी समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों को याद दिलाया कि भारत जैसे देश की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है, और इसीलिए किसानों के हितों की रक्षा करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।