चंडीगढ़, 7 अप्रैल: सोमवार का दिन भारतीय शेयर बाजार के लिए बेहद कठिन साबित हुआ। वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंका के बीच सेंसेक्स और निफ्टी में भारी गिरावट देखी गई, जिससे निवेशकों को ₹19 लाख करोड़ का भारी नुकसान हुआ। यह गिरावट सिर्फ एक साधारण बाजार उतार-चढ़ाव नहीं थी; बल्कि यह वैश्विक आर्थिक संकेतों और निवेशकों के मनोबल पर असर डालने वाली बड़ी घटना थी।
बाजार की स्थिति: सेंसेक्स और निफ्टी में भारी गिरावट
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सेंसेक्स: लगभग 3,072 अंकों (लगभग 4%) की गिरावट के साथ 72,296 अंक पर खुला।
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निफ्टी: 1,146 अंकों (5%) की गिरावट के साथ 21,758 अंक पर पहुंच गया।
इस गिरावट के कारण BSE लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप ₹19.4 लाख करोड़ घटकर ₹383.95 लाख करोड़ रह गया। यह नुकसान निवेशकों के लिए एक बड़ा झटका था, क्योंकि इतनी बड़ी गिरावट ने कई पोर्टफोलियो को नुकसान पहुंचाया।
वैश्विक मंदी की छाया: अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर केंद्रित डर
इस गिरावट के पीछे सबसे बड़ा कारण अमेरिका में मंदी की आशंका है। वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में अमेरिका का प्रभाव बेहद महत्वपूर्ण है, और उसकी आर्थिक नीतियों में बदलाव पूरे विश्व के बाजारों को प्रभावित कर सकता है।
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अमेरिकी टैरिफ नीतियां: अमेरिका द्वारा टैरिफ बढ़ाने से ट्रेड वॉर का डर फिर से सतह पर आ गया है, जिससे वैश्विक बाजारों में घबराहट फैल गई है।
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अमेरिकी स्टॉक फ्यूचर्स की कमजोरी: इससे निवेशकों में अनिश्चितता और डर का माहौल बना है।
एशियाई बाजारों पर भी प्रभाव: वैश्विक मंदी की लहर
भारत के साथ-साथ एशियाई बाजार भी इस मंदी से अछूते नहीं रहे:
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हॉन्ग कॉन्ग का हेंग सेंग इंडेक्स: 10% से अधिक गिरा, जो 2008 के वैश्विक संकट के बाद सबसे बड़ी गिरावट है।
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चीन का CSI300 ब्लू चिप इंडेक्स: 5% से अधिक गिरा, और युआन ने अपने सबसे निचले स्तर को छू लिया।
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जापान का Nikkei 225: 9% की गिरावट दर्ज की गई।
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दक्षिण कोरिया का Kospi: 4.34% की गिरावट आई।
यह वैश्विक मंदी की लहर संकेत देती है कि यह सिर्फ एक अस्थायी गिरावट नहीं है, बल्कि आगे भी इससे जुड़े प्रभाव जारी रह सकते हैं।
निवेशकों में फैली घबराहट: आगे क्या होगा?
इस अचानक आई गिरावट के पीछे कई कारण हैं:
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अंतरराष्ट्रीय तनाव: अमेरिका और अन्य वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापारिक तनाव।
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घरेलू कारक: भारतीय रिजर्व बैंक की MPC मीटिंग, IIP और CPI के आंकड़े, और प्रमुख कंपनियों के तिमाही नतीजे।
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वैश्विक मंदी की आशंका: वैश्विक आर्थिक मंदी का डर निवेशकों के बीच चिंता का कारण बन रहा है।
इस स्थिति में निवेशकों को सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है। आगे और भी बड़ी घटनाएँ बाजार को प्रभावित कर सकती हैं, इसलिए फिजूल के जोखिम से बचना बेहतर है।
आगे का परिदृश्य: क्या सुधार होगा या गिरावट जारी रहेगी?
विश्लेषकों का कहना है कि यदि अमेरिका की आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं होता और वैश्विक मंदी की आशंका बनी रहती है, तो भारतीय शेयर बाजार पर भी इसका असर जारी रह सकता है।
निवेशकों के लिए सुझाव:
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अपने निवेश पोर्टफोलियो की समीक्षा करें।
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दीर्घकालिक निवेश पर ध्यान दें और भावनात्मक फैसलों से बचें।
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अनावश्यक जोखिम उठाने से बचें।
यह घटना वैश्विक अर्थव्यवस्था के परस्पर जुड़े होने और निवेशकों के मनोबल पर इसके प्रभाव को दर्शाती है। निवेशकों को समझदारी से काम लेना चाहिए और इस समय का उपयोग अपने वित्तीय रणनीतियों को मजबूत करने के लिए करना चाहिए।