हिमाचल प्रदेश में शिक्षा संस्थानों में प्लास्टिक की बोतलों पर पूरी तरह से प्रतिबंध: 1 जून से लागू होगा नया नियम!

चंडीगढ़, 14 मई: पर्यावरण संरक्षण की दिशा में हिमाचल प्रदेश सरकार ने एक साहसिक और दूरदर्शी कदम उठाया है। प्रदेश के शिक्षा विभाग ने एक अहम निर्णय लेते हुए घोषणा की है कि अब राज्य के सभी स्कूलों और कॉलेजों में 500 मिलीलीटर तक की प्लास्टिक की पानी की बोतलों का उपयोग पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा। यह निर्णय 1 जून 2025 से लागू किया जाएगा और इसका मकसद है राज्य में एकल-उपयोग प्लास्टिक (Single-use Plastic) के उपयोग को नियंत्रित करना और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना।

इस फैसले को लेकर शिक्षा निदेशालय ने सभी जिलों के उप-निदेशकों को एक आधिकारिक पत्र भी जारी किया है, जिसमें इस नियम का सख्ती से पालन सुनिश्चित कराने के स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं। पत्र में पर्यावरण विभाग के हालिया निर्णय का हवाला देते हुए कहा गया है कि छात्रों और शिक्षकों को अब प्लास्टिक की बोतलों की बजाय पुन: प्रयोज्य (reusable) और टिकाऊ पानी की बोतलों का इस्तेमाल करना होगा।

क्यों उठाया गया यह कदम?

हिमाचल प्रदेश की प्राकृतिक सुंदरता और शुद्ध वातावरण को बनाए रखने के लिए सरकार लगातार प्रयासरत रही है। परंतु बीते कुछ वर्षों में स्कूली परिसरों और कॉलेजों में छोटे आकार की प्लास्टिक की बोतलों, विशेष रूप से पॉलीइथिलीन टेरेफ्थेलेट (PET) से बनी पानी की बोतलों का उपयोग तेजी से बढ़ा है।

इन बोतलों का एक बार उपयोग कर फेंक दिया जाना पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा बन गया है। ये बोतलें जैविक रूप से नष्ट नहीं होतीं और जल स्रोतों, नालियों, और मिट्टी को प्रदूषित करती हैं। इन्हीं कारणों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने यह फैसला लिया कि यदि आने वाली पीढ़ी को पर्यावरण के प्रति जागरूक बनाना है, तो शुरुआत शिक्षण संस्थानों से ही करनी होगी।

क्या होंगे नियम के प्रभाव?

  • छात्रों और शिक्षकों के लिए नियम:
    अब स्कूल और कॉलेज परिसर में 500 मिलीलीटर या उससे कम की किसी भी प्लास्टिक बोतल का उपयोग वर्जित होगा। चाहे वह खरीदकर लाई गई हो या पानी भरने के लिए इस्तेमाल हो रही हो।

  • पुन: प्रयोज्य बोतलों को बढ़ावा:
    अब छात्रों, अध्यापकों और संस्थानों को स्टील, तांबे, कांच या टिकाऊ प्लास्टिक से बनी पुन: प्रयोज्य बोतलों का इस्तेमाल करना होगा। इससे न केवल पर्यावरण को लाभ होगा, बल्कि छात्रों में जिम्मेदारी और स्थायित्व की भावना भी बढ़ेगी।

  • जागरूकता अभियान भी चलेंगे:
    शिक्षा विभाग द्वारा छात्रों को इस नए नियम के पीछे के कारणों की जानकारी देने के लिए विशेष जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएंगे। इसके जरिए बच्चों में पर्यावरणीय चेतना विकसित की जाएगी।

सरकारी प्रतिबद्धता और व्यापक दृष्टिकोण

हिमाचल सरकार का यह निर्णय केवल एक प्रशासनिक आदेश नहीं, बल्कि पर्यावरणीय चेतना का प्रतीक है। यह राज्य की उस सोच को दर्शाता है जिसमें विकास और पर्यावरण एक-दूसरे के विरोधी नहीं बल्कि सहयोगी बन सकते हैं।
इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य है:

  • Single-use plastic पर अंकुश लगाना

  • प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करना

  • बच्चों में जिम्मेदारी और प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता विकसित करना

  • हरित भविष्य के लिए नींव तैयार करना