हरियाणा में अब शहरी सेवाओं पर तय समय में मिलेगा जवाब – सेवा का अधिकार अधिनियम के तहत बड़ी पहल!

चंडीगढ़, 5 जून: हरियाणा सरकार ने प्रदेश के शहरी नागरिकों को बेहतर और समय पर सेवाएं प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HSVP) की कई प्रमुख सेवाओं को अब हरियाणा सेवा का अधिकार अधिनियम, 2014 (Right to Service Act) के तहत लाया गया है। इस फैसले से अब नागरिकों को सरकारी सेवाओं के लिए अनिश्चितकाल तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा।

मुख्य सचिव श्री अनुराग रस्तोगी द्वारा जारी संशोधित अधिसूचना में न केवल सेवाओं की निश्चित समय-सीमा तय की गई है, बल्कि जिम्मेदार अधिकारियों की नियुक्ति के साथ-साथ शिकायत निवारण की स्पष्ट व्यवस्था भी सुनिश्चित की गई है।

 अब तय समय में मिलेंगी ये प्रमुख सेवाएं:

1. प्रमाण-पत्र और सर्वे सेवाएं:

सेवा का नाम तय समय-सीमा
कब्जा प्रमाण पत्र 3 दिन
स्थल सीमांकन (Site Demarcation) 4 दिन
DPC प्रमाणन (Damp Proof Course) 5 दिन

 संबंधित अधिकारी:

  • पदनामित अधिकारी: कनिष्ठ अभियंता

  • प्रथम शिकायत निवारण प्राधिकारी: उप-मंडल अभियंता (सर्वेक्षण)

  • द्वितीय शिकायत निवारण प्राधिकारी: सम्पदा अधिकारी

2. सार्वजनिक सुविधाओं की मरम्मत और रख-रखाव:

सेवा तय समय-सीमा
जलापूर्ति लाइन की मरम्मत 5 दिन
जलापूर्ति के कम दबाव की समस्या 5 दिन
सीवर लाइन ब्लॉकेज हटाना 5 दिन
सीवरेज मेनहोल की मरम्मत 5 दिन
स्टॉर्म वॉटर ड्रेन (SWD) ब्लॉकेज हटाना 5 दिन
SWD मेनहोल की मरम्मत 5 दिन
सड़क या बर्म की सफाई 5 दिन
पॉटहोल (गड्ढों) की मरम्मत 10 दिन
स्ट्रीट लाइट की मरम्मत 3 दिन
पार्क, ग्रीन बेल्ट और सड़क किनारे पौधारोपण 7 दिन

🔧 संबंधित अधिकारी:

  • पदनामित अधिकारी: कनिष्ठ अभियंता

  • प्रथम शिकायत निवारण प्राधिकारी: उप-मंडल अभियंता

  • द्वितीय शिकायत निवारण प्राधिकारी: कार्यकारी अभियंता

 सेवा का अधिकार अधिनियम का उद्देश्य:

इस अधिनियम के तहत सरकार की मंशा है कि नागरिकों को सरकारी सेवाएं पारदर्शी, जिम्मेदार और निश्चित समय सीमा में उपलब्ध कराई जाएं। अब यदि तय समय-सीमा में सेवा नहीं दी जाती, तो संबंधित अधिकारी पर कार्रवाई हो सकती है, और नागरिक शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।

नागरिकों के लिए क्या बदलेगा?

  • अब आवेदक को लंबे इंतज़ार या बार-बार चक्कर लगाने की ज़रूरत नहीं।

  • तय समय के भीतर सेवा न मिलने पर शिकायत दर्ज करने का अधिकार।

  • नामित अधिकारी और निवारण प्राधिकरण स्पष्ट रूप से तय, जिससे जवाबदेही बढ़ेगी।

  • सरकारी तंत्र में पारदर्शिता और कार्यप्रणाली में तेजी।