RBI ने फिर दिया राहत का तोहफा: तीसरी बार घटाया रेपो रेट, अब आसान होंगी आपकी EMI!

चंडीगढ़, 6 जून: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मौद्रिक नीति को लेकर साल 2025-26 के लिए तीन दिवसीय अहम बैठक के बाद आम जनता को एक बड़ी राहत दी है। आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने प्रेस कांफ्रेंस में ऐलान किया कि रेपो रेट में 0.50 प्रतिशत की बड़ी कटौती की गई है। अब यह दर 6.00% से घटकर 5.50% रह गई है। यह लगातार तीसरी बार है जब रेपो रेट में कमी की गई है।

रेपो रेट वह ब्याज दर होती है जिस पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालीन कर्ज देता है। जब यह दर घटती है, तो बैंक भी उपभोक्ताओं को सस्ते दरों पर कर्ज देने लगते हैं। इसका सीधा असर आम लोगों के होम लोन, ऑटो लोन और अन्य ऋणों की मासिक किस्तों (EMI) पर पड़ता है।

पिछले फैसले और मौजूदा कटौती

आपको याद दिला दें कि इससे पहले फरवरी 2025 और अप्रैल 2025 में भी आरबीआई ने दो बार रेपो रेट में 0.25-0.25 प्रतिशत की कटौती की थी। दोनों बार कुल मिलाकर 0.50% की राहत मिली थी, जिससे रेपो रेट 6.50% से घटकर 6.00% पर आ गया था। अब जून में तीसरी बार 0.50% की कटौती के साथ कुल राहत 1.00 प्रतिशत (100 बेसिस प्वाइंट्स) तक पहुंच गई है।

ईएमआई पर राहत की उम्मीद

इस लगातार तीसरी कटौती से सबसे ज्यादा राहत उन लोगों को मिलेगी जिनके ऊपर लोन का बोझ है। क्योंकि रेपो रेट में गिरावट का सीधा असर कर्ज की ब्याज दरों पर होता है। बैंक जल्द ही अपने कर्ज सस्ते कर सकते हैं, जिससे होम लोन, पर्सनल लोन और एजुकेशन लोन की ईएमआई में राहत मिलेगी।

आर्थिक स्थिति और जीडीपी अनुमान

आरबीआई ने न केवल ब्याज दर में कटौती की है, बल्कि देश की आर्थिक तस्वीर को लेकर भी अपनी राय साझा की। मौजूदा वित्तीय वर्ष यानी FY 2025-26 के लिए वास्तविक जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 6.5 प्रतिशत लगाया गया है। आरबीआई का कहना है कि देश की अर्थव्यवस्था में स्थिरता बनी हुई है और यह वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद मजबूती से आगे बढ़ रही है।

  • पहली तिमाही: 6.5%

  • दूसरी तिमाही: 6.7%

  • तीसरी तिमाही: 6.6%

  • चौथी तिमाही: 6.3%

महंगाई पर भी राहत के संकेत

मुद्रास्फीति यानी महंगाई के मोर्चे पर भी थोड़ी राहत की उम्मीद जताई गई है। आरबीआई ने इस वित्त वर्ष के लिए खुदरा महंगाई का अनुमान 4.0% से घटाकर 3.7% कर दिया है। अगर यह आंकड़ा स्थिर रहता है, तो लोगों को रोजमर्रा की चीजों पर खर्च कम करना पड़ेगा।

वैश्विक संकट के बीच भारत की मजबूती

गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि दुनिया के तमाम हिस्सों में आर्थिक गतिविधियां धीमी हैं, वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता बनी हुई है, लेकिन इन सबके बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था में मजबूती बनी हुई है। यही वजह है कि आरबीआई ने इस बार नीतिगत रुख को ‘अकोमोडेटिव’ से बदलकर ‘न्यूट्रल’ कर दिया है। इसका मतलब है कि भविष्य में दरों को लेकर आरबीआई लचीले रुख के बजाय संतुलित नजरिया अपनाएगा।

आरबीआई के इस फैसले से स्पष्ट है कि मौद्रिक नीति फिलहाल आर्थिक विकास को प्राथमिकता दे रही है। लेकिन रेपो रेट में एक प्रतिशत की बड़ी कटौती के बाद आरबीआई के पास अब दरों में और कमी की सीमित गुंजाइश रह गई है। आने वाले समय में अगर वैश्विक परिस्थितियां अनुकूल रहीं और घरेलू महंगाई नियंत्रण में रही, तो नीतियों में स्थिरता बनी रह सकती है।