चंडीगढ़, 16 मई: राजस्थान विश्वविद्यालय के 34वें दीक्षांत समारोह में एक नई चेतना की झलक देखने को मिली, जहां शिक्षा सिर्फ डिग्री तक सीमित नहीं रही, बल्कि संस्कृति, नैतिकता और राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के विचार के साथ जुड़ गई। इस समारोह के मुख्य अतिथि राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने जोर देकर कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) भारतीय संस्कृति और जीवन मूल्यों की संवाहक बन रही है, जो आने वाली पीढ़ियों को सिर्फ ज्ञानी नहीं, बल्कि जिम्मेदार नागरिक बनाने की दिशा में अग्रसर है।
“नई शिक्षा नीति भारतीय आत्मा की पुनर्प्रतिष्ठा है” — राज्यपाल हरिभाऊ बागडे
राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा कि नैतिक मूल्य भारतीय संस्कृति की रीढ़ हैं, और अब समय आ गया है कि शिक्षा इन्हीं मूल्यों को फिर से केंद्र में लाए। उन्होंने याद दिलाया कि अंग्रेजों के शासनकाल में लॉर्ड मैकाले द्वारा बनाई गई शिक्षा प्रणाली ने भारतीयों में गुलामी की मानसिकता पैदा की थी।
“स्वतंत्रता के बाद जैसे हमने तिरंगे को अपनाया, वैसे ही शिक्षा नीति को भी भारतीयता के रंग में रंगना चाहिए था।”
बागडे ने स्पष्ट किया कि आज की नई शिक्षा नीति, एक हजार से अधिक शिक्षाविदों के सुझावों के आधार पर तैयार की गई है, और यह शिक्षा को सांस्कृतिक चेतना, नैतिक अनुशासन और राष्ट्र निर्माण से जोड़ती है।
महिलाओं की भागीदारी: भविष्य की दिशा
समारोह में स्वर्ण पदक विजेता छात्रों को सम्मानित करते हुए राज्यपाल ने विशेष प्रसन्नता जताई कि 75% से अधिक पदक विजेता बालिकाएं थीं। उन्होंने इसे नारी सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा संकेत बताया और कहा कि अब भारत की बेटियाँ हर क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं।
प्रेरणा के स्रोत: इतिहास के महानायक
राज्यपाल बागडे ने छात्रों को महर्षि अरविंद, पंडित नेहरू, स्वामी विवेकानंद, भास्कराचार्य, लीलावती और झांसी की रानी जैसे महापुरुषों की ओर देखने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि इन विभूतियों की जीवनगाथा चरित्र निर्माण और प्रेरणा का अमूल्य स्रोत है।
‘कुलपति’ नहीं, अब ‘कुलगुरु’: शिक्षा की गरिमा का प्रतीक
समारोह को संबोधित करते हुए विधानसभा अध्यक्ष प्रो. वासुदेव देवनानी ने कहा कि अब राजस्थान में कुलपति के स्थान पर ‘कुलगुरु’ शब्द का उपयोग किया जाएगा, जिससे शिक्षा को सिर्फ प्रशासनिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गरिमा भी प्राप्त होगी।
उन्होंने कहा कि तक्षशिला, नालंदा और विक्रमशिला जैसे प्राचीन विश्वविद्यालय सिर्फ ज्ञान के केंद्र नहीं थे, बल्कि उन्होंने दुनिया को दर्शन, विज्ञान और नीति में नई दिशा दी। भारत का यह वैभव आज फिर से स्थापित किया जा रहा है।
भारतीय विज्ञान और रक्षा में समन्वय: ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख
प्रो. देवनानी और राज्यसभा सांसद अरुण सिंह दोनों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की चर्चा की और बताया कि अब भारतीय सेना में भी देशज विज्ञान और तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। इसे भारत की वैज्ञानिक आत्मनिर्भरता और सामरिक शक्ति का प्रतीक बताया गया।
विकसित भारत की दिशा में उच्च शिक्षा की भूमिका
डॉ. प्रेमचंद बैरवा, उपमुख्यमंत्री और उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि विकसित भारत का सपना उच्च शिक्षा के स्तर से जुड़ा हुआ है। उन्होंने समाज के सभी वर्गों से मिलकर इस दिशा में काम करने की अपील की।
विश्वविद्यालय की प्रगति रिपोर्ट: समर्पण और विकास की झलक
कुलगुरु डॉ. अल्पना कटेजा ने राजस्थान विश्वविद्यालय की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि कैसे विश्वविद्यालय ने शैक्षणिक, शोध और नवाचार के क्षेत्र में सकारात्मक प्रगति की है।