Purandar Airport Vivaad : पुणे जिले के पुरंदर में प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को लेकर एक बार फिर विवाद गहराने लगा है। महाराष्ट्र सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया तेज करने के आदेश के बाद, स्थानीय ग्रामीणों और किसानों ने सासवड में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है।
प्रदर्शनकारियों ने पंचायत समिति कार्यालय के बाहर काले झंडे लहराए और नारेबाजी करते हुए मुआवजे, पर्यावरणीय प्रभाव और सामाजिक-आर्थिक दुष्प्रभावों को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की।
पुरंदर एयरपोर्ट: विवादों से घिरी परियोजना
छत्रपति संभाजी महाराज के नाम पर बनने जा रहे इस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की घोषणा के बाद से ही इसे लगातार स्थानीय विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
शुरुआत में इस प्रोजेक्ट के लिए चाकन को चुना गया था, लेकिन वहां के ग्रामीणों के विरोध और भूमि अधिग्रहण में आई दिक्कतों के कारण इसे पुरंदर शिफ्ट कर दिया गया।
सरकार को उम्मीद थी कि पुरंदर में ज्यादा जगह और कम आपत्तियां होंगी,
लेकिन यहां भी किसानों और स्थानीय लोगों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है।
मौजूदा लोहेगांव हवाई अड्डे पर बढ़ते ट्रैफिक और भारतीय वायु सेना के बेस के रूप में उसकी भूमिका को देखते हुए,
एक नए एयरपोर्ट की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही थी।
यही वजह है कि महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम (MIDC) को इस प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी सौंपी गई
और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हाल ही में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को तेज करने के निर्देश दिए।
ग्रामीणों की नाराजगी: मुआवजे और पर्यावरणीय चिंता पर जोर
सासवड में हुए विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए, जिन्होंने हवाई अड्डे के लिए अधिग्रहित की जाने वाली जमीन के बदले मिलने वाले मुआवजे को अपर्याप्त बताया।
उनका कहना है कि कृषि भूमि छिनने से उनकी रोजी-रोटी प्रभावित होगी
और यह परियोजना उनके भविष्य को असुरक्षित कर सकती है।
इसके अलावा, पर्यावरणविद भी इस प्रोजेक्ट पर सवाल उठा रहे हैं।
उनका मानना है कि हवाई अड्डा बनने से क्षेत्र की पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचेगा,
जलस्रोतों पर असर पड़ेगा और आसपास के ग्रामीण इलाकों में प्रदूषण बढ़ सकता है।
सरकार का पक्ष: विकास के लिए जरूरी है एयरपोर्ट (Purandar Airport Vivaad)
हाल ही में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री फडणवीस ने MIDC को निर्देश दिया
कि जून 2025 तक भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी की जाए ताकि प्रोजेक्ट पर तेजी से काम शुरू किया जा सके।
इस बैठक में केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल भी शामिल थे।
सरकार का कहना है कि यह हवाई अड्डा पुणे और महाराष्ट्र के विकास में अहम भूमिका निभाएगा।
परियोजना के पूरा होने के बाद, यह हवाई अड्डा पुणे के बुनियादी ढांचे,
कनेक्टिविटी और अंतरराष्ट्रीय यात्रा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
सरकार के मुताबिक, यह एयरपोर्ट 2029 तक बनकर तैयार हो सकता है
और इसे महाराष्ट्र के सबसे बड़े एविएशन हब के रूप में विकसित किया जाएगा।
फिलहाल, सरकार भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए किसानों से बातचीत कर रही है,
लेकिन विरोध को देखते हुए यह कहना मुश्किल है कि यह प्रोजेक्ट तय समय में पूरा हो पाएगा या नहीं।
ग्रामीणों की नाराजगी और पर्यावरणीय चिंताओं को हल किए बिना, इस परियोजना को धरातल पर उतारना आसान नहीं होगा।
अब देखना यह होगा कि सरकार और स्थानीय लोग इस मुद्दे को किस तरह सुलझाते हैं
और पुरंदर एयरपोर्ट का भविष्य क्या होता है।