लोकसभा फरीदकोट क्षेत्र (Faridkot Lok Sabha Seat) में मौजूदा पार्टियां अपना वोट बैंक ही नहीं बचा पाई हैं। विजय रहे सरबजीत सिंह खालसा ने सभी पार्टियों का वोट बैंक तोड़ा है। कांग्रेस प्रत्याशी अमरजीत कौर साहोके पिछले 2019 के चुनाव में विजय रहे मुहम्मद सदीक से आधे भी वोट हासिल नहीं कर सके हैं। इसके अलावा शिअद का वोट बैंक भी पिछले दो चुनावों के मुकाबले आधा हो गया है। आप ने उम्मीद से कम मगर अच्छा प्रदर्शन किया है।
चौकोनिया मुकाबले से शुरू हुआ यह चुनाव आखिरी दौर में पांचकौनिया हो गया था और इस हिसाब से कर्मजीत अनमोल का वोट बैंक फिर भी ठीक रहा है। मगर उनके विधायक उन्हें जीत दर्ज करवाने में नाकामयाब रहे हैं। कांग्रेस और शिअद का सबसे बुरा प्रदर्शन ही आप की हार और सरबजीत सिंह खालसा की जीत का बड़ा कारण रहा है।
2022 से बुरा मगर 2019 से अच्छा रहा आप का प्रदर्शन
आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन इस बार के चुनाव में ठीक ठाक मगर संताेष जनक नहीं रहा है। 2019 के लोक सभा चुनाव के मुकाबले 2022 में बंपर वोट आप को मिले थे। उनके विधायकों से लोगों का सीधा मेल जोल नहीं होना और आम आदमी पार्टी द्वारा अपनी बात प्रभावी ढंग से नहीं रख पाना हार का बड़ा कारण बना है। आखिरी दिनों में जब सरबजीत सिंह खालसा के हक में वेव बनी तो वह उसका भी तोड़ नहीं निकाल पाए।
नेताओं का साथ न मिलने और ढीली कैंपेन वोट बैंक टूटने की वजह
कांग्रेस की प्रत्याशी अमरजीत कौर साहोके शिरोमणि अकाली दल बादल से आई हुई हैं। वह अपना कंपेन ही सही ढंग से नहीं चला पाईं थीं। उन्हें माेगा के सभी चार विधान सभा क्षेत्रों में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं का साथ नहीं मिला। यही कारण था कि जो वोट बैंक सत्ता पक्ष से निराश था वह उसे अपने साथ जोड़ नहीं पाईं और खुद का वोट बैंक भी टूट गया। कांग्रेस की तरफ देख रहे मतदाता सरबजीत सिंह खालसा की वेव से जुड गए और वोट बंट गए।
नेताओं की कमी से कैंपेन नहीं चला पाया अकाली दल
प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर सिंह बादल को सांसद की सीढियां चढ़ाने वाले इस क्षेत्र में अकाली दल के पास इस समय नेताओं की भारी कमी थी। सीमित साधनों के बीच राजविंदर सिंह धर्मकोट 2019 और 2022 में टूटे वोट बैंक को अपने साथ नहीं मिला पाए। पहले यह वोट बैंक आप और अब सरबजीत सिंह खालसा के पक्ष में चला गया और इसका नतीजा यह रहा कि अकाली दल चौथे स्थान पर रहा है।