आरक्षण नीति को लेकर जम्मू-कश्मीर में विरोध प्रदर्शन, क्या है पूरा मुद्दा ?

Reservation Policy

Reservation Policy – जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के घर के बाहर आज भारी विरोध हुआ है!

और ये विरोध सिर्फ छात्रों का नहीं, बल्कि कई प्रमुख राजनीतिक नेताओं का भी है!

हजारों छात्रों और नेताओं ने मिलकर उमर अब्दुल्ला के घर के बाहर, रिजर्वेशन नीति के खिलाफ आवाज़ उठाई।

ये नीति, जो इस साल की शुरुआत में लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा की सरकार ने लागू की थी,

इस ने पूरे कश्मीर में हलचल मचा दी है।

Reservation Policy – क्या है ये नई रिजर्वेशन नीति ?

यह नई रिजर्वेशन नीति, सामान्य वर्ग के लिए आरक्षण कम और आरक्षित वर्गों के लिए आरक्षण बढ़ा देती है।

इस बदलाव ने समाज के हर हिस्से को नाराज़ कर दिया है।

इस नीति के तहत, पहाड़ी जनजातियों के लिए 10% आरक्षण, और ओबीसी के लिए 8% आरक्षण बढ़ा दिया गया।

साथ ही, 15 नई जातियों को ओबीसी सूची में जोड़ दिया गया।

लेकिन यह बदलाव उन लोगों को रास नहीं आया जिनका आरक्षण घटा दिया गया।

उमर अब्दुल्ला की अपनी पार्टी, नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद रुहुल्ला मेहदी भी छात्रों के साथ सड़कों पर उतर आए हैं।

वह भी इस विरोध को सपोर्ट कर रहे हैं। और यही नहीं! पीडीपी के नेता, वाहीद पारा, और शेख खुर्शीद जैसे प्रमुख नेताओं ने भी इस विरोध में भाग लिया है।

यहां तक कि जम्मू-कश्मीर की उच्च न्यायालय ने भी इस नीति को चुनौती दी है

और राज्य सरकार से तीन हफ्ते के अंदर जवाब देने को कहा है!

अब मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का कहना है कि उनकी सरकार इस नीति की समीक्षा करेगी, लेकिन वे अदालत के आदेशों का पालन करेंगे।

उनका कहना है, “मैं समझता हूं कि इस मुद्दे पर गुस्सा और आक्रोश है,

लेकिन हम हर किसी की सुनवाई करेंगे और पूरी पारदर्शिता के साथ फैसला करेंगे।”

तो सवाल ये है कि क्या यह विरोध सिर्फ शुरुआत है? क्या यह नीति बदल पाएगी?

क्या सरकार इस मुद्दे का हल निकालेगी, या फिर यह विरोध और बढ़ेगा?

ये तो समय ही बताएगा, लेकिन अभी के लिए यह मुद्दा पूरे कश्मीर में चर्चा का विषय बन चुका है!