ऑपरेशन सिंदूर पर पीएम मोदी का कड़ा रुख: 20 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को दी ये स्पष्ट चेतावनी!

चंडीगढ़, 26 मई: देश में हाल ही में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने न केवल सुरक्षा क्षेत्र में भारत की क्षमताओं को प्रदर्शित किया है, बल्कि राजनीतिक हलचलों को भी तेज कर दिया है। इस ऑपरेशन की सफलता के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों और नेताओं की तरफ से आए बयानों की गूंज अब सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंच गई है। इसी संदर्भ में प्रधानमंत्री ने एक उच्चस्तरीय बैठक में एनडीए शासित 20 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को संबोधित करते हुए बेहद स्पष्ट और कड़ा संदेश दिया।

प्रधानमंत्री मोदी ने दो टूक शब्दों में कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे अति संवेदनशील मुद्दों पर लापरवाही भरे या गैर-जिम्मेदाराना बयान कतई स्वीकार नहीं किए जाएंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि इस प्रकार की “लूज टॉक” यानी मनमानी और उत्तेजक टिप्पणियां न केवल सुरक्षा बलों के मनोबल को प्रभावित करती हैं, बल्कि पूरे देश की एकता और अखंडता के लिए भी खतरा पैदा करती हैं।

“जाति नहीं, जनसेवा प्राथमिकता होनी चाहिए”

प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र की एनडीए सरकार जाति और धर्म की सीमाओं से ऊपर उठकर समावेशी विकास और वंचित वर्गों के सशक्तिकरण के लिए समर्पित है। उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि उनका मिशन है— हर अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक विकास पहुंचाना। इस लक्ष्य के लिए ज़रूरी है कि सभी नेता और राज्यों की सरकारें राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्र निर्माण में भागीदारी निभाएं।

‘ऑपरेशन सिंदूर’: आत्मनिर्भर भारत की रणनीतिक शक्ति

प्रधानमंत्री मोदी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता को आत्मनिर्भर भारत अभियान की दिशा में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा कि यह ऑपरेशन इस बात का प्रमाण है कि अब भारत विदेशी संसाधनों पर निर्भर नहीं है, बल्कि अब स्वदेशी रक्षा तकनीक से लैस होकर भारत अपनी सीमाओं की सुरक्षा स्वयं करने में सक्षम हो चुका है।

हाल के भारत-पाक तनाव का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि इस दौरान जिस तरह भारतीय बलों ने देशी तकनीक के जरिए रणनीतिक बढ़त हासिल की, वह आने वाले समय में देश की रक्षा नीतियों की दिशा को पूरी तरह बदल देगा।

साझा विकास की अपील: सुशासन मॉडल को अपनाने की सिफारिश

बैठक में उत्तराखंड सरकार द्वारा समान नागरिक संहिता (UCC) समेत सात प्रमुख सुशासन मॉडल प्रस्तुत किए गए। इस पर प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि एक विशेष समिति बनाई जाए जो इन मॉडलों का गहन अध्ययन करे और यह तय करे कि इन्हें अन्य राज्यों में कैसे लागू किया जा सकता है।

प्रधानमंत्री ने विश्वास जताया कि यदि एनडीए शासित राज्य आपसी तालमेल और समन्वय से कार्य करें, तो भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का सपना जल्द ही साकार हो सकता है। उन्होंने कहा, “यह समय है साझा प्रयासों और एकजुटता का — तभी बनेगा विकसित भारत।

गैर-जिम्मेदार बयानबाजी पर प्रधानमंत्री की नाराज़गी

प्रधानमंत्री ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की पृष्ठभूमि में कुछ नेताओं द्वारा की गई भड़काऊ और असंवेदनशील टिप्पणियों पर अप्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब देश की सेनाएं साहस और वीरता का प्रदर्शन कर रही हैं, तब कुछ राजनीतिक नेता स्वार्थ की राजनीति में उलझकर उनकी उपलब्धियों को कम आंकने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “ऐसे वक्त में हमें राजनीति नहीं, राष्ट्रनीति की आवश्यकता है।”

जेपी नड्डा ने किए अहम ऐलान

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जानकारी दी कि इस बैठक में 20 मुख्यमंत्री और 18 उपमुख्यमंत्री उपस्थित रहे। सम्मेलन में दो मुख्य प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किए गए:

  1. पहला प्रस्ताव प्रधानमंत्री मोदी के निर्णायक नेतृत्व और सेना की वीरता की खुलकर सराहना करता है।

  2. दूसरा प्रस्ताव आगामी जनगणना में जातिगत आंकड़ों को शामिल करने के निर्णय का समर्थन करता है।

जेपी नड्डा ने यह भी रेखांकित किया कि जातिगत जनगणना की पहल सबसे पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने की थी, जो उस समय एनडीए के घटक दल थे। इससे स्पष्ट होता है कि यह विचार काफी पहले से गठबंधन के नीति-सिद्धांतों का हिस्सा रहा है।