चंडीगढ़, 30 मई: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों बिहार दौरे पर हैं और उनके आगमन को लेकर राज्य में सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए गए हैं। लेकिन इसी बीच एक ऐसी घटना सामने आई जिसने दिल्ली से लेकर बिहार तक सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट मोड में ला दिया।
29 मई की सुबह जैसे ही प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के एक अधिकारी को वॉट्सऐप पर धमकी भरा संदेश मिला, देश की सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ गई। उस संदेश में स्पष्ट रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जान लेने की बात कही गई थी।
कैसे मिली धमकी और क्या था पूरा घटनाक्रम?
सूत्रों के मुताबिक, धमकी वॉट्सऐप के जरिए दी गई और यह मैसेज सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय से जुड़े एक अधिकारी के मोबाइल पर आया। इस गंभीर मामले को नजरअंदाज नहीं किया गया और तुरंत गृह मंत्रालय, इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) और नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) को जानकारी दी गई।
तीनों एजेंसियों ने मिलकर तकनीकी विश्लेषण (technical tracing) शुरू की और जल्द ही पता चला कि यह धमकी भागलपुर जिले के सुल्तानगंज थाना क्षेत्र से भेजी गई थी।
कैसे हुआ आरोपी की गिरफ्तारी?
जैसे ही संदेश की लोकेशन ट्रेस की गई, भागलपुर एसएसपी ने स्थानीय पुलिस और खुफिया इकाइयों को अलर्ट किया। सुल्तानगंज थाना पुलिस ने बिना समय गंवाए वहां दबिश दी और महज 4 घंटे के भीतर आरोपी समीर रंजन को गिरफ्तार कर लिया।
फर्जी सिम कार्ड से भेजा गया था धमकी भरा संदेश
जांच में एक अहम खुलासा हुआ कि जिस मोबाइल नंबर से धमकी दी गई थी, वह मंटू चौधरी नामक एक बुजुर्ग के नाम पर रजिस्टर्ड था। आगे पता चला कि आरोपी समीर रंजन ने फर्जी दस्तावेजों की मदद से यह सिम कार्ड एक्टिवेट करवाया था ताकि अपनी असली पहचान छिपाई जा सके।
कौन है समीर रंजन? जानिए आरोपी का प्रोफाइल
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नाम: समीर रंजन
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उम्र: 35 वर्ष
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निवास स्थान: महेशी गांव, थाना सुल्तानगंज, जिला भागलपुर, बिहार
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शैक्षणिक योग्यता: बीसीए (BCA) पास
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पूर्व स्थिति: कोविड-19 महामारी से पहले एक निजी कंपनी में कार्यरत था, लेकिन लॉकडाउन के बाद से बेरोजगार है
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मानसिक स्थिति: पुलिस सूत्रों के अनुसार, आरोपी लंबे समय से मानसिक तनाव और आर्थिक संकट से जूझ रहा था। शुरुआती जांच में मानसिक असंतुलन की संभावना भी जताई जा रही है।
सुरक्षा एजेंसियों की मुस्तैदी ने रोका बड़ा खतरा
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे बड़ी बात यह रही कि जैसे ही धमकी मिली, केंद्रीय एजेंसियां और स्थानीय पुलिस प्रशासन एकसाथ हरकत में आ गए। समन्वय और तत्परता का नतीजा यह रहा कि आरोपी महज कुछ घंटों में हिरासत में आ गया।
यह घटनाक्रम इस बात का प्रमाण है कि देश के प्रधानमंत्री की सुरक्षा को लेकर कभी भी कोई समझौता नहीं किया जाता। चाहे संदेश किसी भी माध्यम से आए, जांच और कार्रवाई में कोई ढिलाई नहीं बरती जाती।
समीर रंजन से लगातार पूछताछ जारी है। एजेंसियों की कोशिश है कि यह पता लगाया जा सके कि इस धमकी के पीछे कोई बड़ा षड्यंत्र या नेटवर्क तो नहीं है।
फिलहाल, आरोपी के खिलाफ आईटी एक्ट, देशद्रोह, और प्रधानमंत्री की सुरक्षा में बाधा डालने जैसी गंभीर धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है।