पेट्रोल-डीजल कीमतों में उतार-चढ़ाव: पहलगाम हमले के बाद तनाव के माहौल में जेब पर बढ़ा बोझ!

चंडीगढ़, 28 अप्रैल: देश में इन दिनों सुरक्षा और अर्थव्यवस्था दोनों ही मोर्चों पर तनाव देखा जा रहा है। एक ओर सीमा पर हालिया पहलगाम हमले के बाद युद्ध जैसे संकेत मिल रहे हैं, तो दूसरी ओर घरेलू स्तर पर पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बदलाव ने आम लोगों की आर्थिक चिंता और बढ़ा दी है। वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं, लेकिन भारत के कई राज्यों में खुदरा ईंधन दरों में फेरबदल देखा गया है, जिससे उपभोक्ताओं की जेब पर सीधा असर पड़ रहा है।

किन राज्यों में बढ़े दाम?

सोमवार सुबह 6 बजे सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों ने नए रेट लागू किए। इनमें उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे प्रमुख राज्यों में पेट्रोल और डीजल दोनों के दामों में हल्की मगर असर डालने वाली वृद्धि दर्ज की गई है।

उत्तर प्रदेश:

  • नोएडा (गौतम बुद्ध नगर):
    पेट्रोल ₹94.98/लीटर (26 पैसे महंगा)
    डीजल ₹88.13/लीटर (30 पैसे महंगा)

  • गाजियाबाद:
    पेट्रोल ₹94.39/लीटर (26 पैसे सस्ता)
    डीजल ₹87.45/लीटर (30 पैसे सस्ता)

बिहार:

  • पटना:
    पेट्रोल ₹105.58/लीटर (22 पैसे की बढ़त)
    डीजल ₹92.94/लीटर (20 पैसे की बढ़त)

बड़े शहरों में क्या है स्थिति?

चारों महानगरों में कीमतें अभी स्थिर बनी हुई हैं। हालांकि, इनमें किसी भी वक्त बदलाव हो सकता है, क्योंकि पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें हर सुबह 6 बजे नई दरों के साथ अपडेट की जाती हैं।

शहर पेट्रोल (₹/लीटर) डीजल (₹/लीटर)
दिल्ली ₹94.72 ₹87.62
मुंबई ₹103.44 ₹89.97
चेन्नई ₹100.76 ₹92.35
कोलकाता ₹104.95 ₹91.76

वैश्विक स्तर पर स्थिति क्या है?

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में फिलहाल कोई बड़ा उतार-चढ़ाव नहीं देखा गया है।

  • ब्रेंट क्रूड: $67.70 प्रति बैरल

  • WTI क्रूड: $63.21 प्रति बैरल

इस स्थिरता के बावजूद भारत में कीमतें टैक्स, डीलर मार्जिन और लॉजिस्टिक्स जैसे स्थानीय कारकों के चलते बदलती रहती हैं। एक्साइज ड्यूटी और राज्य सरकारों द्वारा लगाए जाने वाले वैट की वजह से ईंधन की अंतिम कीमत आम आदमी तक पहुंचते-पहुंचते दोगुनी हो जाती है।

क्यों पड़ रहा है असर?

तेल की बढ़ती कीमतें सीधे-सीधे महंगाई को प्रभावित करती हैं। ट्रांसपोर्ट, खाद्य पदार्थों की ढुलाई, दैनिक उपयोग की वस्तुओं की लागत में इजाफा होने लगता है, जिससे अंततः उपभोक्ता पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है।
इन हालात में लोगों को स्मार्ट खर्च और वैकल्पिक साधनों के उपयोग की ओर ध्यान देने की ज़रूरत है।

जहां एक ओर देश की सुरक्षा को लेकर चिंता गहराती जा रही है, वहीं दूसरी ओर घरेलू मोर्चे पर पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतें आम आदमी के लिए नई परेशानी लेकर आई हैं। ऐसे समय में जागरूकता और सटीक जानकारी ही बचाव का एकमात्र रास्ता है।