चंडीगढ़, 15 अप्रैल: देशभर में पेट्रोल और डीजल की कीमतें भले ही ₹100 और ₹90 के पार चल रही हों, लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार से आ रही खबरें कुछ और ही कहानी बयां कर रही हैं।
फिलहाल कच्चे तेल यानी क्रूड ऑयल की कीमत 5561 रुपये प्रति बैरल तक गिर चुकी है – यानी करीब 35 रुपये प्रति लीटर!
अब सवाल ये है कि जब भारत सस्ते रेट पर कच्चा तेल खरीद रहा है, तो फिर जनता को पेट्रोल और डीजल पर राहत कब मिलेगी?
1 साल में 22% सस्ता हुआ क्रूड ऑयल
आंकड़ों की मानें तो भारत ने पिछले साल कच्चा तेल आयात किया था करीब 89.44 डॉलर प्रति बैरल के हिसाब से। लेकिन अब वही कच्चा तेल 69.39 डॉलर प्रति बैरल में मिल रहा है।
मतलब, एक साल में लगभग 22% की गिरावट दर्ज की गई है।
इस गिरावट की एक बड़ी वजह है दुनियाभर में आर्थिक मंदी के संकेत, धीमा ग्रोथ रेट और व्यापारिक तनाव।
2025 में और गिरेगा क्रूड?
रॉयटर्स और गोल्डमैन सैक्स की रिपोर्ट्स कहती हैं कि 2025 के बाकी महीनों में कच्चे तेल की कीमत और घटकर 63 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकती है।
इसके साथ ही OPEC जैसे तेल उत्पादक देशों ने भी डिमांड के अनुमान कम कर दिए हैं। इसका मतलब है कि बाजार में तेल की आपूर्ति ज़्यादा और मांग कम – और इसी वजह से कीमतों में और गिरावट की उम्मीद जताई जा रही है।
फिर भारत में फ्यूल इतना महंगा क्यों है?
ये सवाल अब हर आम आदमी की जुबान पर है –
जब कच्चा तेल इतना सस्ता हो गया है, तो क्या सरकार या तेल कंपनियां जानबूझकर कीमतें नहीं घटा रहीं?
इसका एक जवाब है – स्टॉकिंग।
पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने हाल ही में कहा था कि तेल कंपनियों के पास 45 दिन का पुराना स्टॉक है, जो उन्होंने करीब 75 डॉलर प्रति बैरल की दर से खरीदा था।
इसका मतलब ये है कि जब तक पुराना स्टॉक खत्म नहीं हो जाता, तब तक कीमतें घटाना संभव नहीं होगा।
टैक्स और ड्यूटी भी बना है बड़ी वजह
भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम सिर्फ कच्चा तेल के रेट से तय नहीं होते। उस पर केंद्र और राज्य सरकारों के टैक्स, डीलर कमीशन, रिफाइनिंग कॉस्ट जैसे कई चार्जेज़ भी जुड़ते हैं।
कई राज्यों में सिर्फ टैक्स ही 50% से ज्यादा होता है! यही वजह है कि क्रूड सस्ता होने के बावजूद जनता को तुरंत फायदा नहीं मिल पाता।
क्या जल्द मिलेगा राहत का फायदा?
जानकार मानते हैं कि अगर क्रूड के मौजूदा दाम कुछ हफ्तों तक स्थिर रहे, तो तेल कंपनियों को कीमतें घटाने का मौका मिल सकता है।
जैसे ही पुराना महंगा स्टॉक खत्म होगा और नया सस्ता तेल इस्तेमाल में आएगा, पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती के आसार हैं।
जनता की मांग – अब तो कीमतें घटाओ सरकार!
-
“कच्चा तेल अगर 35 रुपए लीटर मिल रहा है, तो 100 रुपए में पेट्रोल क्यों?”
-
“हर चीज़ महंगी है, अगर फ्यूल सस्ता हो जाए तो राहत मिलेगी!”
-
“सरकार को टैक्स घटाना चाहिए, ताकि आम आदमी को सीधा फायदा मिले।”
क्रूड की कीमतों में लगातार गिरावट भारत जैसे आयात-निर्भर देश के लिए एक पॉजिटिव संकेत है। हालांकि राहत तुरंत नहीं, लेकिन कुछ हफ्तों में जरूर देखने को मिल सकती है –
बशर्ते सरकार और कंपनियां जनता के हित में फैसले लें।