चंडीगढ़, 31 मई: सरकारी सेवा में सालों तक ईमानदारी से काम करने वाले उन कर्मचारियों के लिए एक बड़ी और सुखद खबर सामने आई है, जो 31 मार्च 2025 से पहले सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं। केंद्र सरकार ने यूनिवर्सल पेंशन स्कीम (UPS) के तहत एक नई योजना लागू की है, जिसका मकसद उन रिटायर होने वाले कर्मचारियों को अतिरिक्त वित्तीय सुरक्षा देना है जो एनपीएस (NPS) के तहत आते हैं।
यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब सेवानिवृत्ति के करीब पहुंच चुके कई कर्मचारी अपनी भविष्य की आर्थिक स्थिति को लेकर अनिश्चितता और चिंता महसूस कर रहे थे। इस घोषणा से लाखों कर्मचारियों को राहत मिलने की उम्मीद है।
क्या है यूनिवर्सल पेंशन स्कीम (UPS)?
UPS, मौजूदा नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) के अतिरिक्त एक नवीन वित्तीय लाभ प्रदान करने वाली योजना है। वित्त मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक:
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जो कर्मचारी 31 मार्च 2025 तक रिटायर हो रहे हैं, और
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जिन्होंने कम से कम 10 साल की सेवा पूरी कर ली है,
वे इस योजना का प्रत्यक्ष लाभ उठा सकते हैं।
यह योजना उन कर्मचारियों के लिए है जो NPS के अंतर्गत आते हैं, लेकिन सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें पारंपरिक पेंशन व्यवस्था जैसी सुरक्षा नहीं मिलती थी।
UPS के तहत क्या-क्या लाभ मिलेंगे?
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एकमुश्त वित्तीय राशि
UPS योजना के तहत रिटायर होने वाले कर्मचारी को एकमुश्त राशि दी जाएगी। यह राशि उनकी अंतिम मूल वेतन (Basic Pay) और महंगाई भत्ते (DA) का 10वां हिस्सा होगी।
यह भुगतान हर छह महीने की पूर्ण सेवा के लिए गिना जाएगा। जितनी अधिक सेवा, उतना अधिक लाभ। -
मासिक अतिरिक्त पेंशन
UPS के तहत एक अतिरिक्त मासिक पेंशन भी दी जाएगी। यह राशि इस प्रकार तय होगी:
UPS में निर्धारित कुल पेंशन + DA – NPS की एन्युटी = मासिक UPS पेंशन लाभ। -
बकाया राशि का भुगतान
अगर किसी कर्मचारी को पूर्व में कोई संबंधित राशि नहीं मिली है, तो उसे ब्याज सहित वापस किया जाएगा। ब्याज की गणना PPF की मौजूदा ब्याज दर के आधार पर की जाएगी।
किन्हें मिलेगा UPS का लाभ?
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ऐसे सभी सरकारी कर्मचारी जो 31 मार्च 2025 से पहले रिटायर हो रहे हैं।
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जिन्होंने कम से कम 25 साल की सेवा पूरी की है।
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जिनकी पेंशन की गणना रिटायरमेंट से पहले के 12 महीनों की औसत बेसिक सैलरी के आधार पर की जाएगी।
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लाभ लेने के लिए क्लेम की अंतिम तिथि 30 जून 2025 रखी गई है।
न्यायपालिका का हस्तक्षेप: रिटायरमेंट उम्र में भेदभाव असंवैधानिक
सरकारी पेंशन से जुड़ी इस राहत भरी खबर के बीच, सुप्रीम कोर्ट ने भी एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अदालत ने स्पष्ट कहा है कि विकलांग कर्मचारियों के लिए रिटायरमेंट आयु में भेदभाव संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।
एक केस में सामने आया कि लोकोमोटर-विकलांग (चलने-फिरने में असमर्थ) एक कर्मचारी को 58 वर्ष में रिटायर कर दिया गया था, जबकि दृष्टिबाधित (नेत्रहीन) कर्मचारी को 60 साल तक सेवा करने की अनुमति थी। अदालत ने इस व्यवस्था को भेदभावपूर्ण और मनमाना करार देते हुए इसे असंवैधानिक बताया।
हालाँकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी कर्मचारी को स्वेच्छा से अपनी रिटायरमेंट आयु तय करने का अधिकार नहीं है। यह अधिकार पूरी तरह से सरकार के पास है, लेकिन उसका उपयोग समानता और न्याय के आधार पर होना चाहिए।