चंडीगढ़, 21 अप्रैल: हर साल वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाने वाली परशुराम जयंती न सिर्फ एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह धर्म, साहस और न्याय की मिसाल माने जाने वाले एक ऐसे अवतार के जन्म की स्मृति है, जिनका जीवन खुद में प्रेरणा है।
भगवान परशुराम, भगवान विष्णु के छठे अवतार के रूप में पूजित हैं। उन्हें एक ऐसे महापुरुष के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने ब्राह्मण होते हुए भी क्षत्रियों की भांति शस्त्र धारण किए, अन्याय के विरुद्ध युद्ध लड़ा और धर्म की स्थापना की।
इस बार कब है परशुराम जयंती?
2025 में परशुराम जयंती मंगलवार, 29 अप्रैल को मनाई जाएगी। विशेष बात यह है कि इस दिन अक्षय तृतीया भी पड़ रही है, जिसे स्वयं में ही अत्यंत शुभ माना जाता है। जब परशुराम जयंती और अक्षय तृतीया एक साथ पड़ें, तो यह दिन बहुत ही पुण्यदायी और विशेष फलदायी हो जाता है।
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तृतीया तिथि प्रारंभ: 29 अप्रैल 2025, सायं 5:31 बजे
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तृतीया तिथि समाप्त: 30 अप्रैल 2025, दोपहर 2:12 बजे
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प्रदोष काल में जन्म होने के कारण 29 अप्रैल को ही पर्व मनाया जाएगा।
परशुराम जयंती का आध्यात्मिक महत्व
परशुराम जयंती केवल भगवान परशुराम के जन्म का उत्सव नहीं है, बल्कि यह दिन धैर्य, साहस, संकल्प और न्यायप्रियता के मूल्यों को याद करने का अवसर है।
ऐसा माना जाता है कि इस दिन जो भी भक्त सच्चे मन और श्रद्धा से भगवान परशुराम की पूजा करता है, उसे जीवन में निर्भयता, आत्मबल और निर्णय क्षमता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
कैसे करें परशुराम जयंती की पूजा? (पूजा विधि)
यदि आप घर पर भगवान परशुराम की पूजा करना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए सरल और सच्चे तरीके से आप इस पावन पर्व को विशेष बना सकते हैं:
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ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, मानसिक शुद्धि और संकल्प के साथ पूजा की तैयारी करें।
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पूजा स्थान को गंगाजल या स्वच्छ जल से शुद्ध करें।
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लकड़ी की चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाएं और उस पर भगवान परशुराम की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
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भगवान को चंदन, अक्षत (चावल), फूल, तुलसी दल, धूप, दीप, नैवेद्य (मिष्ठान्न) आदि समर्पित करें।
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‘परशुराम स्तुति’ या ‘विष्णु सहस्रनाम’ का पाठ करें। यदि संभव हो तो पूरे परिवार के साथ मिलकर भजन-कीर्तन करें।
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इस दिन व्रत रखने का विशेष महत्व है। दिनभर सात्विक भोजन या फलाहार करें।
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गरीबों को अन्न, वस्त्र, तांबे के बर्तन और जरूरतमंद ब्राह्मणों को दक्षिणा दान करें।
शक्ति और शांति के लिए बोले ये मंत्र
इन विशेष मंत्रों का जाप करके आप भगवान परशुराम की कृपा और ऊर्जा को अपने जीवन में आमंत्रित कर सकते हैं:
इन मंत्रों का उच्चारण मन को एकाग्र करता है, और आत्मिक बल प्रदान करता है।
कुछ खास बातें जो जानना ज़रूरी है
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परशुराम जी को परशु (कुल्हाड़ी) का प्रतीक माना जाता है, जो न्याय का संकेत है।
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वे ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका के पुत्र थे।
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परशुराम जयंती का दिन धार्मिक अनुष्ठानों, दान-पुण्य और आत्मविकास के लिए बेहद अनुकूल माना जाता है।