चंडीगढ़, 25 अप्रैल: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकवादी हमले में मारे गए निर्दोष पर्यटकों की याद में हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के सभागार में एक शोकसभा का आयोजन किया गया। इस दौरान अकादमी के अधिकारियों और कर्मचारियों ने दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि दी और राष्ट्र के प्रति अपनी संवेदनाएं प्रकट कीं।
भारत सरकार के फैसले पर चर्चा
सभा को संबोधित करते हुए प्रो. अग्निहोत्री ने हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि आतंकवाद के इस क्रूर चेहरे को लेकर पूरे देश में शोक और आक्रोश की भावना है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार द्वारा सिंधु जल संधि को स्थगित करने जैसे निर्णयों के दीर्घकालिक परिणाम होंगे और यह वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान को एक सख्त संदेश देने का मार्ग प्रशस्त करेगा।
साहित्य और संस्कृति से जुड़े लोगों की एकजुटता
इस श्रद्धांजलि सभा में संस्कृत प्रकोष्ठ के निदेशक डॉ. चित्तरंजन दयाल सिंह कौशल और पंजाबी प्रकोष्ठ के निदेशक हरपाल सिंह गिल भी मौजूद रहे। दोनों अधिकारियों ने शहीदों को नमन करते हुए आतंक के खिलाफ एकजुट होकर खड़े होने की आवश्यकता पर बल दिया।
डॉ. कौशल ने कहा कि साहित्य और संस्कृति नफरत नहीं, सद्भाव की भाषा है, लेकिन जब निर्दोष लोगों का खून बहाया जाए, तो मौन भी प्रतिरोध बन जाता है। वहीं, हरपाल सिंह गिल ने कहा कि पंजाबी साहित्य और विरासत हमेशा वीरता और शौर्य के पक्ष में खड़ी रही है, और आज फिर समय आ गया है कि हम अपने मूल्यों की रक्षा के लिए आवाज़ उठाएं।
इस श्रद्धांजलि सभा ने न केवल पहलगाम हमले के शिकार लोगों को सम्मानित किया, बल्कि यह भी दर्शाया कि साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र से जुड़े लोग भी राष्ट्र की सुरक्षा और एकता के मुद्दों पर सजग और संवेदनशील हैं।
यह सभा एक प्रतीक थी — शब्दों की शक्ति, जब मौन में भी प्रतिरोध बन जाए।