Panchkula Book Fair

पंचकूला पुस्तक मेला: सड़क सुरक्षा से लेकर साहित्य तक, विविध विषयों पर विमर्श!

Panchkula Book Fair : पुलिस महानिदेशक श्री शत्रुजीत कपूर की प्रेरणा से सड़क सुरक्षा-जीवन रक्षा विषय पर आयोजित विमर्श के पहले सत्र में मुख्य अतिथि एडीजीपी सीआईडी आलोक मित्तल ने युवा पीढ़ी को सड़क सुरक्षा नियमों के पालन की अपील की।

उन्होंने कहा कि सड़क सुरक्षा आज के समय में सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है,

खासकर युवाओं के लिए। आलोक मित्तल ने युवाओं से आग्रह किया

कि वे सड़क सुरक्षा को अपनी आदतों का हिस्सा बनाएं और खुद को सुरक्षित रखते हुए दूसरों की सुरक्षा का भी ख्याल रखें।

एडीजीपी ट्रैफिक हरदीप सिंह दून ने सड़क दुर्घटनाओं

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता, एडीजीपी ट्रैफिक हरदीप सिंह दून ने सड़क दुर्घटनाओं को सिर्फ व्यक्तिगत क्षति नहीं, बल्कि एक राष्ट्र की क्षति बताया।

उन्होंने कहा, “सड़क पर किसी का मरना केवल उसके परिवार के लिए दुखद नहीं,

बल्कि पूरे समाज और राष्ट्र के लिए हानि है।

” इस सत्र में रिटायर्ड आईजी ईश्वर सिंह, डीसीपी पंचकूला हिमाद्री कौशिक, एसपी ट्रैफिक पुष्पा

और एसपी डॉयल 112 नुपूर विश्नोई जैसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी मौजूद रहे।

Panchkula Book Fair : राष्ट्र के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए एसईआईएए के अध्यक्ष एवं ऊर्जा संरक्षक समिति के संरक्षक श्री पी.के. दास ने कहा

कि ऐसे विमर्शों से समाज और राष्ट्र के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करना न केवल नए ज्ञान का संचार करता है,

बल्कि युवाओं को प्रेरित भी करता है। उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों से विद्यार्थी नई सोच

और रचनात्मक दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ते हैं।

विमर्श के द्वितीय सत्र में, प्रख्यात साहित्यकार और वागर्थ पत्रिका के संपादक डॉ. शम्भूनाथ ने ‘युवा और किताबें’ पर अपने विचार व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी में लवकुश की तरह ताकत है जो बड़े से बड़े साम्राज्य को गिरा सकती है।

उन्होंने यह भी कहा कि तथ्यों से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है उन तथ्यों के आपसी संबंधों का ज्ञान।

सत्य की खोज में हमेशा एक अच्छे कथाकार को अग्रसर रहना चाहिए।

किताबों और ज्ञान का मूल्य समझना

इस सत्र में पंजाब विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. गुरमीत ने कहा कि हमें किताबों और ज्ञान का मूल्य समझना चाहिए क्योंकि किताबें हमें भीड़ से अलग पहचान देती हैं।

अपनी बात को दृढ़ करते हुए उन्होंने गुलजार की प्रसिद्ध कविता “किताबें झाकती हैं बंद कमरों के शीशों से” का उद्धरण भी दिया।

इस विमर्श में डॉ. रजनी मोरवाल, प्रख्यात लेखिका, ने कहा कि आज के युवा को लिखने से पहले पढ़ना चाहिए,

ताकि वे और बेहतर तरीके से अपने विचार व्यक्त कर सकें।

संगोष्ठी का संचालन एमसीएम कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. अंबुज ने किया

और इसमें एससीएमडीएवी कॉलेज चंडीगढ़ और गवर्नमेंट कॉलेज सेक्टर 1 के विद्यार्थियों की विशेष भागीदारी रही।

इसके बाद, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की संस्कार रंग टोली द्वारा पुस्तक मेले के मंच पर प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानी ‘चोरी’

और ‘बड़े भाई साहब’ पर आधारित नाटक “वो कागज की कस्ती, वो बारिश का पानी” का मंचन किया गया।

इस नाटक का निर्देशन सुंदर लाल छाबड़ा ने किया, जिसमें कलाकारों ने शानदार अभिनय किया।

नाटक में अभिनय करने वाले प्रमुख कलाकार थे – मोहम्मद शहनशाह, रवि धुतामल, स्वपना,

शिवानी शर्मा, एस भूमिनाथन, मोहित जैन, मिनाक्षी, जयंत राभा और रोनिका।


कल का कार्यक्रम: कल महिला बाल विकास विभाग हरियाणा के सहयोग से महिला सशक्तिकरण और साहित्य विषय पर विमर्श होगा।

कार्यक्रम में अमनीत पी. कुमार, आई.ए.एस और राकेश कुमार आर्या, पुलिस आयुक्त पंचकूला, युवाओं से रूबरू होंगे

और महिला सशक्तिकरण पर अपनी राय देंगे।

 

 

 

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