चंडीगढ़, 28 अप्रैल: पाकिस्तान की सेना, जिसे अब तक देश की सबसे शक्तिशाली संस्था माना जाता रहा है, इस समय गंभीर आंतरिक संकट से गुजर रही है। हाल ही में सामने आए लीक दस्तावेजों से चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि 250 से अधिक सैन्य अधिकारी और करीब 5,000 सैनिकों ने एक साथ इस्तीफा दे दिया है। इस घटनाक्रम ने न केवल पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था को झकझोर दिया है, बल्कि यह भी स्पष्ट किया है कि सेना के भीतर असंतोष और मनोबल की भारी गिरावट का दौर चल रहा है।
भारत के दबाव की भूमिका
सूत्रों की मानें तो यह पूरा घटनाक्रम भारत के साथ बढ़ते तनाव के बीच सामने आया है। सीमा पर हालिया घटनाओं, विशेषकर पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की ओर से कड़ी कूटनीतिक और सैन्य प्रतिक्रिया, ने पाकिस्तान की सेना पर व्यापक दबाव डाला है। भारत के आक्रामक रुख और लगातार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर घेरने की रणनीति ने पाकिस्तानी सेना की रणनीतिक स्थिति को कमजोर किया है।
असंतोष के कारण
एक लीक पत्र, जिसे लेफ्टिनेंट जनरल ओमर अहमद बख़री ने सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को संबोधित किया था, ने इस संकट को आधिकारिक रूप से सामने ला दिया। पत्र में कहा गया:
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सेना का मनोबल न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुका है।
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कई अधिकारी और सैनिक अब अपनी ड्यूटी को निभाने में मानसिक रूप से सक्षम नहीं महसूस कर रहे हैं।
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उच्च सैन्य नेतृत्व के निर्णयों को लेकर जमीनी स्तर पर गहरी नाराज़गी है।
इससे संकेत मिलता है कि केवल जमीनी जवान ही नहीं, बल्कि मध्य और उच्च स्तर के अधिकारी भी नेतृत्व से असहमत हैं और रणनीतिक दिशा को लेकर चिंतित हैं।
हालात कितने गंभीर?
पाकिस्तान पहले ही:
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आर्थिक संकट,
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राजनीतिक अस्थिरता,
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और आंतरिक आतंकवाद
से जूझ रहा है।
अब सेना, जिसे अक्सर देश का “स्टेबलाइजिंग फोर्स” माना जाता था, उसमें इतनी बड़ी संख्या में इस्तीफे होना न केवल सैन्य ढांचे के लिए झटका है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी बड़ा खतरा बन सकता है।
पाकिस्तान सरकार की चुप्पी
सरकार की ओर से इस मुद्दे पर अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। न तो प्रधानमंत्री कार्यालय और न ही रक्षा मंत्रालय ने इन इस्तीफों या असंतोष के कारणों पर कोई स्पष्टता दी है। यह चुप्पी अपने आप में बताती है कि हालात कितने संवेदनशील और नियंत्रण से बाहर हो सकते हैं।
विशेषज्ञों की राय
राजनीतिक और रक्षा विश्लेषकों का कहना है:
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यदि यह संकट समय रहते नहीं सुलझाया गया, तो यह सेना की कमांड स्ट्रक्चर और ऑपरेशनल क्षमता को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है।
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भारत-पाक तनाव के इस दौर में जब सैन्य सतर्कता की ज़रूरत सबसे ज़्यादा है, तब इतनी बड़ी संख्या में इस्तीफे राष्ट्रीय खतरे के संकेत हैं।
अब आगे क्या?
अब सवाल है — क्या पाकिस्तान सरकार और सैन्य नेतृत्व समय रहते इस संकट को थाम पाएंगे?
क्या असंतोष की आग और गहराएगी?
या भारत के दबाव और आंतरिक चुनौतियों के सामने पाकिस्तान की सेना टूटने की कगार पर है?
पाकिस्तान की सेना का यह आंतरिक संकट भारत की रणनीतिक स्थिति को और मजबूत करता है, लेकिन साथ ही यह पूरे दक्षिण एशिया के लिए चिंता का कारण भी बन सकता है। एक अस्थिर पड़ोसी और कमजोर सैन्य ढांचा, क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा बन सकता है। पाकिस्तान को जल्द ही आत्ममंथन कर सशक्त निर्णय लेने होंगे, वरना यह संकट उसके अस्तित्व की जड़ों को भी हिला सकता है।