धान की खरीददारी का जोरदार सफर: क्या किसानों की जेब में भरेगा सोना?

PADDY PROCUREMENT IN HARYANA : उपायुक्त डा. यश गर्ग ने बताया कि 28 अक्तूबर को जिला पंचकूला की तीनों अनाज मंडियों में 1150 मीट्रिक टन धान की आवक हुई।

विभिन्न एजेंसियों द्वारा इस धान की खरीद की गई, जबकि 4163 मीट्रिक टन धान का उठान भी किया गया।

यह खरीद और उठान दोनों ही किसानों के लिए महत्वपूर्ण हैं, जो अपनी फसल को मंडियों में लाते हैं।

PADDY PROCUREMENT IN HARYANA : इस दिन बरवाला अनाज मंडी में

उपायुक्त ने बताया कि इस दिन बरवाला अनाज मंडी में 250 मीट्रिक टन

और रायपुर रानी अनाज मंडी में 900 मीट्रिक टन धान की आवक हुई।

इस धान की खरीद हैफेड द्वारा की गई, जो किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

डा. गर्ग ने कहा कि हैफेड ने पंचकूला मंडी से 350 मीट्रिक टन, बरवाला मंडी से 1140 मीट्रिक टन

और रायपुर रानी मंडी से 1900 मीट्रिक टन धान का उठान किया है।

जिले की सभी अनाज मंडियों में कुल

अभी तक जिले की सभी अनाज मंडियों में कुल 77305 मीट्रिक टन धान की आवक हो चुकी है,

जिसमें पंचकूला मंडी में 8400 मीट्रिक टन, बरवाला मंडी में 42305 मीट्रिक टन और रायपुर रानी मंडी में 26600 मीट्रिक टन धान शामिल है।

उपायुक्त ने बताया कि अब तक सभी एजेंसियों द्वारा 55704 मीट्रिक टन धान का उठान हो चुका है।

इसके अलावा, हैफेड ने पंचकूला मंडी से 7900 मीट्रिक टन, बरवाला मंडी से 27050 मीट्रिक टन

और रायपुर रानी मंडी से 26600 मीट्रिक टन धान की खरीद की है।

हरियाणा वेयर हाउस ने भी इस प्रक्रिया में योगदान देते हुए पंचकूला मंडी से 500 मीट्रिक टन और बरवाला मंडी से 15255 मीट्रिक टन धान की खरीद की है।

डा. गर्ग ने सभी एजेंसियों को निर्देश दिया

उपायुक्त ने बताया कि अब तक जिला के 14402 किसान अपनी धान लेकर अनाज मंडियों में पहुंच चुके हैं।

यह एक सकारात्मक संकेत है कि किसान अपनी मेहनत का फल पाना चाह रहे हैं।

डा. गर्ग ने सभी एजेंसियों को निर्देश दिया कि वे धान के उठान में तेजी लाएं ताकि किसानों को शीघ्र भुगतान हो सके।

इसके साथ ही, उन्होंने किसानों से यह भी अपील की कि वे फसल अवशेषों को जलाने के बजाय प्रबंधन करने का प्रयास करें।

इससे न केवल पर्यावरण को बचाने में मदद मिलेगी, बल्कि यह किसानों के लिए भी फायदेमंद होगा।

धान की खरीद और उठान की इस प्रक्रिया से यह उम्मीद की जा रही है कि किसानों को उचित मूल्य मिलेगा और वे अपनी फसल से संतुष्ट रहेंगे।

अब यह देखना होगा कि क्या इन प्रयासों से किसानों के जीवन स्तर में सुधार होगा या नहीं।

Sakshi Dutt:

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