चंडीगढ़, 8 मई: भारत की ओर से किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने एक बड़ी ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है। पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले क्षेत्रों में स्थित आतंकी ठिकानों पर किए गए सटीक और योजनाबद्ध हवाई हमलों में एक नाम ऐसा था, जो वर्षों से भारत के निशाने पर था — अब्दुल रऊफ अज़हर, जैश-ए-मोहम्मद का ऑपरेशनल प्रमुख और भारत के सबसे कुख्यात दुश्मनों में से एक।
भारतीय वायुसेना ने यह कार्रवाई जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के प्रतिशोध में की थी, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी। यह हमला न केवल नागरिकों के जीवन पर हमला था, बल्कि भारत की संप्रभुता और शांति पर भी एक खुला हमला था।
एक-एक ठिकाने पर सटीक प्रहार
भारतीय सशस्त्र बलों ने PoK और पाकिस्तान के भीतर स्थित कुल नौ आतंकी अड्डों को चिह्नित कर उन पर निशाना साधा। इन हमलों में सबसे अहम था बहावलपुर स्थित जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय “सुभान अल्लाह”, जहां पर रऊफ अज़हर मौजूद था। वहीं उसे भारतीय मिसाइलों ने हमेशा के लिए शांत कर दिया।
इसी हमले में जैश के संस्थापक मसूद अज़हर के परिवार के 10 सदस्य और उसके 4 प्रमुख सहयोगी भी मारे गए। यह कार्रवाई न केवल रणनीतिक रूप से सफल रही, बल्कि प्रतीकात्मक रूप से भी जैश की रीढ़ तोड़ने जैसी थी।
कौन था रऊफ अज़हर?
अब्दुल रऊफ अज़हर सिर्फ एक आतंकी नहीं था, वह एक पूरी आतंकी मशीनरी का मुख्य संचालक था।
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1999 में IC-814 विमान अपहरण का मास्टरमाइंड
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2001 में संसद पर हमले,
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2002 में पत्रकार डेनियल पर्ल की हत्या,
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2008 के मुंबई हमलों,
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2016 के पठानकोट हमले,
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और 2019 के पुलवामा आत्मघाती हमले तक, हर बड़े आतंकी वारदात में उसका नाम शामिल था।
अमेरिका ने 2010 में ही उसे वैश्विक आतंकवादी घोषित कर दिया था। उसके सिर पर लंबे समय से भारत की निगाह थी, लेकिन वह पाकिस्तान की धरती पर खुलेआम छुपा बैठा था — अब नहीं।
एक निर्णायक संदेश
ऑपरेशन सिंदूर ने यह साफ कर दिया है कि भारत अब प्रतीक्षा नहीं करता — अगर निर्दोषों पर हमला होगा, तो जवाब उसी ताकत और उसी ज़मीन पर दिया जाएगा। रऊफ अज़हर की मौत न सिर्फ सुरक्षा बलों की सैन्य सफलता है, बल्कि उन हज़ारों भारतीय परिवारों के लिए भी सुकून है जो वर्षों से न्याय की राह देख रहे थे।
यह एक निर्णायक क्षण है — भारत ने सिर्फ जवाब नहीं दिया, एक युग समाप्त किया है।