चंडीगढ़, 8 मई: 6 और 7 मई की दरम्यानी रात भारतीय सेना ने इतिहास रचते हुए एक ऐसा अभियान चलाया, जिसने देशवासियों का सिर गर्व से ऊँचा कर दिया और दूसरी ओर दुश्मन के दिलों में डर की एक गहरी लकीर खींच दी। इस सुनियोजित और अत्यंत गोपनीय सैन्य कार्रवाई को एक विशेष नाम दिया गया – ‘ऑपरेशन सिंदूर’। यह नाम न सिर्फ भारतीय संस्कृति में पवित्रता और बलिदान का प्रतीक है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि जब बात देश की रक्षा की हो, तो भारत की बेटियाँ भी दुश्मनों पर कहर बनकर टूट सकती हैं।
इस विशेष ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (PoJK) में फैले आतंक के नेटवर्क पर सीधा और निर्णायक हमला किया। हालाँकि, अभी तक सरकार या सेना की ओर से किसी आधिकारिक बयान में आतंकियों की संख्या की पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन सूत्रों के हवाले से मीडिया में यह बताया जा रहा है कि इस ऑपरेशन में लगभग 100 आतंकवादी मारे गए हैं। यह आँकड़ा अपने आप में इस अभियान की सफलता की गवाही देता है।
महिलाओं के नेतृत्व में चली रणनीति
इस ऑपरेशन की एक खास बात यह भी रही कि इसके बारे में जानकारी देने की जिम्मेदारी भारतीय सेना की दो महिला अधिकारी – कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने उठाई। यह भारतीय सेना की नई सोच और बदलते चेहरे को दर्शाता है, जहाँ महिलाएँ सिर्फ परामर्श नहीं, बल्कि रणनीति और संचालन के केंद्र में हैं।
7 मई को हुए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सेना ने इस ऑपरेशन के बारे में विस्तार से जानकारी साझा की। अधिकारियों ने बताया कि इस अभियान के तहत कुल 9 आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया गया – जिनमें से 4 पाकिस्तान में और 5 पीओके में स्थित थे। यह सभी टारगेट पहले से प्राप्त पुख्ता खुफिया जानकारी के आधार पर चुने गए थे, ताकि कोई भी हमला बेगुनाहों को नुकसान न पहुँचाए।
केवल आतंक पर वार, आम नागरिक सुरक्षित
कर्नल कुरैशी ने प्रेस वार्ता में स्पष्ट किया कि इस सैन्य कार्रवाई में सिर्फ आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया गया। न किसी सैन्य प्रतिष्ठान को नुकसान पहुँचा और न ही किसी आम नागरिक को कोई हानि हुई। यह दर्शाता है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ पूरी संवेदनशीलता और सटीकता से कार्रवाई करता है, और उसका उद्देश्य केवल आतंक का सफाया है – निर्दोषों को छूना नहीं।
नई परिभाषा गढ़ता भारतीय सैन्य नेतृत्व
‘ऑपरेशन सिंदूर’ सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि यह एक प्रतीक बन गया है – उस नए भारत का, जो निर्णायक है, साहसी है, और अपने दुश्मनों को उन्हीं की भाषा में जवाब देना जानता है। इस ऑपरेशन की योजना जिस तरह से तैयार की गई और उसे जमीन पर उतारा गया, वह सैन्य रणनीति की किताबों में दर्ज हो जाने लायक है।
यह घटना एक बार फिर यह साबित करती है कि भारतीय सेना न सिर्फ तकनीकी और सामरिक रूप से मजबूत है, बल्कि उसके भीतर एक मानवीय दृष्टिकोण भी है – जो दुश्मन को खत्म करता है, लेकिन मासूमों की रक्षा करता है।