हरियाणा लोक प्रशासन संस्थान, सेक्टर-25, पंचकूला में सोमवार को एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य NDPS ACT 1985 के तहत जागरूकता फैलाना था।
यह कार्यक्रम जिला बाल संरक्षण अधिकारी पंचकूला द्वारा आयोजित किया गया
और इसमें महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी सीमा रोहिला ने मुख्य अतिथि के रूप में हिस्सा लिया।
NDPS ACT 1985 की बारीकियों से अवगत कराया गया
इस कार्यक्रम में स्टेकहोल्डर्स को बच्चों में नशे की बढ़ती समस्या के संदर्भ में एनडीपीएस एक्ट 1985 की बारीकियों से अवगत कराया गया।
मुख्य उद्देश्य था कि सभी उपस्थित लोग बच्चों को नशे के दुष्प्रभावों से अवगत कर सकें,
क्योंकि नशे के कारण कई बच्चे अपराध की ओर प्रवृत्त हो रहे हैं।
रिसोर्स पर्सन डॉ. सुवीर सक्सेना, स्टेट प्रोजेक्ट ऑफिसर मेंटल हेल्थ और डी-एडिक्शन, ने बताया
कि एनडीपीएस एक्ट 1985 का उद्देश्य नशीले और मादक पदार्थों के भंडारण, उपभोग, खेती, बिक्री, खरीद
और विनिर्माण को रोकना और दोषियों को दंडित करना है।
उन्होंने उपस्थित अधिकारियों और कर्मचारियों को अधिनियम के उद्देश्यों को समझाते हुए जानकारी प्रदान की।
एनडीपीएस एक्ट में 238 प्रकार की नशीली चीजों को प्रतिबंधित
मधुबन से आए सब इंस्पेक्टर रवि पीएसआई ने बताया कि एनडीपीएस एक्ट में 238 प्रकार की नशीली चीजों को प्रतिबंधित किया गया है।
उन्होंने बताया कि मात्रा के आधार पर सजा का प्रावधान है:
अल्प मात्रा (5 ग्राम तक) के लिए एक साल तक की सजा,
मध्यम मात्रा (5 से 10 ग्राम तक) के लिए एक से दस साल की सजा और वाणिज्यिक मात्रा (10 ग्राम से एक किलो) के लिए दस से बीस साल तक की सजा का प्रावधान है।
उन्होंने नारकोटिक्स और साइकोट्रोपिक पदार्थों के बीच अंतर भी स्पष्ट किया। नारकोटिक्स वे पदार्थ हैं जो नींद बढ़ाते हैं,
जबकि साइकोट्रोपिक वे पदार्थ हैं जो मानसिक स्थिति को बदल सकते हैं,
जैसे उदासी को खुशी में बदलना।
डॉ. सक्सेना ने सभी को सलाह दी कि वे नशीले पदार्थों से दूर रहें और केवल डॉक्टर की सलाह पर दवाओं का प्रयोग करें।
जिला बाल संरक्षण अधिकारी निधि मालिक ने भी सभी स्टेकहोल्डर्स को जेजे (जुवेनाइल जस्टिस)
और पॉक्सो (चाइल्ड सेक्सुअल ऑफेंस) एक्ट के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की।
इस अवसर पर बाल कल्याण समिति, जिला बाल कल्याण अधिकारी, जिला कल्याण अधिकारी, सभी स्कूलों के प्रिंसिपल,
पुलिस विभाग के नोडल अधिकारी, बाल देखभाल संस्थानों में कार्यरत अधीक्षक,
काउंसलर और चाइल्ड वेलफेयर ऑफिसर, जिला समाज कल्याण अधिकारी, स्वास्थ्य विभाग,
बाल विवाह निषेध अधिकारी, वन स्टॉप सेंटर और जिला बाल संरक्षण के समस्त स्टाफ भी मौजूद थे।