चंडीगढ़, 17 जून: दुनिया की भू-राजनीति एक बार फिर उस मोड़ पर खड़ी है, जहां हथियारों की होड़ शांति से बड़ी होती जा रही है। एक ओर ईरान और इज़रायल के बीच चल रहा तनाव वैश्विक चिंता का विषय बना हुआ है, वहीं दूसरी ओर भारत-पाकिस्तान की हालिया तनातनी और आतंकी घटनाओं ने भी परमाणु संतुलन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
ऐसे माहौल में स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की ताज़ा रिपोर्ट सामने आई है, जिसने एक बार फिर दुनिया को झकझोर कर रख दिया है। रिपोर्ट न केवल परमाणु हथियारों की संख्या पर रोशनी डालती है, बल्कि यह भी स्पष्ट करती है कि तकनीक के स्तर पर आज की दुनिया कितनी खतरनाक हो चुकी है।
दुनिया में कितने हैं न्यूक्लियर हथियार?
SIPRI के अनुसार, साल 2024 की शुरुआत तक दुनिया के पास कुल 12,121 परमाणु हथियार मौजूद थे। इनमें से लगभग 9,600 हथियार ऐसे हैं जिन्हें ‘सक्रिय’ यानी कि तैनात माना गया है — मतलब युद्ध या तत्काल प्रतिक्रिया के लिए तैयार।
बीते वर्षों में हथियारों की संख्या में गिरावट आई है, लेकिन चिंता की बात यह है कि अब ये हथियार पहले से कहीं अधिक उन्नत, तेज और विनाशकारी हो चुके हैं। अब यह दौड़ सिर्फ कितने हथियार हैं तक सीमित नहीं रही, बल्कि कैसे हथियार हैं — इसका भी बड़ा महत्व बन चुका है।
परमाणु ताकत की टॉप लिस्ट: कौन है सबसे आगे?
देश | कुल न्यूक्लियर हथियार | स्थिति |
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रूस | 5,880 | सबसे बड़ा परमाणु जखीरा |
अमेरिका | 5,244 | तकनीक और तैनाती में सबसे उन्नत |
चीन | 600 | तेज़ी से बढ़ रही ताकत |
फ्रांस | ~290 | स्थिर, लेकिन प्रभावशाली |
भारत | 180 | आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता |
पाकिस्तान | 170 | भारत के बराबर की होड़ |
यूके | ~225 | मौजूदा क्षमता बरकरार |
इज़रायल | ~80-90 (अनाधिकारिक) | रणनीतिक चुप्पी |
उत्तर कोरिया | ~50 | अप्रत्याशित खतरा |
भारत की परमाणु स्थिति: आत्मरक्षा से आगे की तैयारी
भारत के पास वर्तमान में 180 परमाणु हथियार हैं। भले ही यह संख्या रूस और अमेरिका से बहुत कम है, लेकिन भारत ने पिछले कुछ वर्षों में तकनीकी रूप से बड़ा कदम उठाया है। भारत अब ‘कैनिस्टराइज्ड मिसाइल’ तकनीक पर काम कर रहा है, जिससे परमाणु मिसाइलों को पहले से हथियारों से जोड़कर कहीं भी, कभी भी तैनात किया जा सकता है। इसका मतलब है — तेज़ और सटीक जवाबी हमला।
भारत की नीति हमेशा ‘नो फर्स्ट यूज़’ (पहले इस्तेमाल नहीं) रही है, लेकिन बदलते वैश्विक और क्षेत्रीय हालात इसे नई दिशा की ओर ले जा सकते हैं।
पाकिस्तान: भारत के मुकाबले में हमेशा तत्पर
पाकिस्तान के पास 170 परमाणु हथियार हैं। वह लगातार यह संकेत देता रहा है कि यदि भारत से खतरा हुआ, तो वह ‘पहले उपयोग’ की नीति अपनाने से पीछे नहीं हटेगा। हाल ही में हुई आतंकी घटनाओं के बाद भारत की जवाबी कार्रवाई और पाकिस्तान की धमकियों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इस क्षेत्र में तनाव एक चिंगारी से विस्फोटक बन सकता है।
चीन: तेजी से उभरती तीसरी परमाणु महाशक्ति
चीन के पास 600 परमाणु हथियार हैं और SIPRI की रिपोर्ट के अनुसार, बीते कुछ वर्षों में उसने हथियारों की तैनाती और गुणवत्ता में तीव्र वृद्धि की है। चीन का उद्देश्य केवल रक्षा नहीं, बल्कि वैश्विक प्रभाव और दबाव बनाना भी है। वह न केवल जमीन से, बल्कि समुद्र और अंतरिक्ष से भी परमाणु शक्ति का उपयोग कर सकने की तैयारी में है।
हथियारों का अंतरराष्ट्रीय बाज़ार: कौन बेच रहा है, कौन खरीद रहा है?
SIPRI रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि दुनिया में सैन्य उपकरणों और हथियारों की खरीद-बिक्री किस तरह की जा रही है।
सबसे बड़े हथियार खरीददार (2020–2024):
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यूक्रेन
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भारत
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कतर
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सऊदी अरब
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पाकिस्तान
ये देश मिलकर पूरी दुनिया में हुई भारी हथियार खरीद का लगभग 35% हिस्सा रखते हैं।
सबसे बड़े हथियार विक्रेता देश:
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अमेरिका – वैश्विक निर्यात में 43% हिस्सा
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फ्रांस – दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक
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रूस – भले ही कमी आई हो, लेकिन अभी भी टॉप-3 में
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चीन – अब आयात घटाकर घरेलू उत्पादन पर ज़ोर
भविष्य की चिंता: क्या युद्ध का खतरा बढ़ रहा है?
SIPRI की रिपोर्ट सिर्फ आंकड़ों तक सीमित नहीं, बल्कि यह संकेत देती है — कि दुनिया के शक्तिशाली देश अब हथियारों की दौड़ में न सिर्फ आगे बढ़ रहे हैं, बल्कि यह होड़ पहले से कहीं ज्यादा संवेदनशील और खतरनाक बन चुकी है।
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ईरान-इज़रायल के बीच चल रहा तनाव, परमाणु युद्ध का संकेत दे सकता है यदि संतुलन नहीं बना।
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उत्तर कोरिया अप्रत्याशित निर्णयों के लिए जाना जाता है।
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भारत-पाकिस्तान की तनातनी कभी भी बेकाबू हो सकती है।