Navratri fasting: सही फलाहार के नियम और पौष्टिकता के रहस्य!

Navratri fasting: नवरात्रि के पावन अवसर पर मां दुर्गा की कृपा पाने के लिए बहुत भक्तजन व्रत रखते हैं और विधि-विधान से पूजा-अर्चना भी करते हैं।

ऐसा माना जाता है कि 9 दिन का यह व्रत मां को प्रसन्न कर जीवन की सभी समस्याओं को दूर करने का मार्ग खोलता है।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि व्रत के दौरान फलाहार और नियमों का खास ध्यान रखना जरूरी होता है?

Navratri fasting: फलाहार और भोजन करने के कुछ खास नियम

ज्योतिष के अनुसार, नवरात्रि व्रत में फलाहार और भोजन करने के कुछ खास नियम होते हैं।

हालांकि, ये नियम व्यक्तिगत मान्यताओं और परंपराओं के आधार पर भी बदल सकते हैं।

तो आइए जानते हैं नवरात्रि व्रत के दौरान फलाहार करने के कुछ जरूरी नियम:

1. सेंधा नमक का उपयोग:

नवरात्रि के व्रत में सामान्य नमक की जगह केवल सेंधा नमक का ही उपयोग किया जाता है।

यह धार्मिक दृष्टिकोण से शुद्ध माना जाता है और शरीर के लिए भी स्वास्थ्य होता है।

इसके विपरीत, सामान्य नमक का प्रयोग व्रत के दौरान वर्जित होता है।

2. पानी और फलों का सेवन:

व्रत के दौरान पानी का सेवन आप दिन में कई बार कर सकते हैं।

यह ना केवल शरीर को हाइड्रेटेड रखता है बल्कि ऊर्जा भी बनाए रखता है।

इसके अलावा आप सेब, केला, अंगूर, पपीता, संतरा जैसे फलों का सेवन कर सकते हैं।

ये फल हल्के होते हैं और आसानी से पच जाते हैं, जिससे उपवास के दौरान ऊर्जा बनी रहती है।

3. उबली सब्जियां और दूध:

कई लोग व्रत के दौरान उबली हुई या भाप में पकाई गई सब्जियां भी खाते हैं।

हालांकि, यह आपकी व्यक्तिगत पसंद पर निर्भर करता है।

कुछ लोग दूध, दही या छाछ का सेवन भी करते हैं, जो शरीर को पोषण प्रदान करता है।

लेकिन ध्यान रखें कि यह भी आपकी मान्यता और परंपरा के अनुसार हो सकता है।

4. अनाज और मांसाहार वर्जित:

नवरात्रि के व्रत में अनाज का सेवन नहीं किया जाता है।

इसके अलावा मांस, मछली, अंडा, तंबाकू और अल्कोहल का सेवन भी पूरी तरह से वर्जित होता है। य

ह धार्मिक अनुशासन का हिस्सा है और व्रत की शुद्धता बनाए रखने के लिए इसे अनिवार्य माना गया है।

5. भोजन की पवित्रता और साफ-सफाई:

व्रत के दौरान भोजन की पवित्रता और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना जरूरी है।

जिस स्थान पर भोजन बनता है और जहां इसे ग्रहण किया जाता है, वहां स्वच्छता होनी चाहिए।

इसके अलावा, व्रत के दौरान मन को शांत और भगवान की भक्ति में लीन रखना भी जरूरी है।

6. नकारात्मक विचारों से दूरी:

व्रत सिर्फ शारीरिक तपस्या नहीं है, बल्कि यह मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि का भी समय है।

इसलिए व्रत के दौरान नकारात्मक विचारों से बचना चाहिए और कोशिश करनी चाहिए कि मन में केवल सकारात्मक और आध्यात्मिक विचार ही आएं।

अब सवाल उठता है कि कितनी बार फलाहार किया जा सकता है?

व्रत में फलाहार सीमित मात्रा में और संयम से करना चाहिए।

कई लोग दिनभर उपवास करते हैं और केवल रात में भोजन करते हैं।

कोशिश करें कि ताजा भोजन ही करें और बहुत पहले से भोजन ना बनाएं।

व्रत का सही फल तभी मिलेगा जब इन नियमों का पालन पूरी निष्ठा और पुरे दिल से किया जाए।

(Disclaimer: यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है, Newspedia24 इसकी पुष्टि नहीं करता है)

Isha Chauhan:

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