Navratri 2024: चलिए आज आपको बताते है नवरात्री के तीसरे दिन का महत्त्व –
नवरात्रि के तीसरे दिन भक्तों द्वारा देवी चंद्रघंटा की पूजा की जाती है, जो अपने साहस और योद्धा भावना के लिए जानी जाती हैं।
देवी चंद्रघंटा की उपासना करने से भक्तों में न केवल शक्ति का संचार होता है,
बल्कि वे अपने भीतर की वीरता और आत्मविश्वास को भी पहचानते हैं।
इस दिन देवी की पूजा से जुड़ी परंपराएं हमें यह सिखाती हैं कि हर स्थिति में हमें धैर्य और साहस बनाए रखना चाहिए।
इस दिन, विशेष रूप से सिंदूर तृतीया का अनुष्ठान किया जाता है। यह पर्व विवाहित महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है,
क्योंकि यह उनके पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करने का अवसर होता है।
महिलाएं इस दिन सिंदूर देवी के चरणों में अर्पित करती हैं, जिससे उन्हें सुख, शांति और प्रेम की प्राप्ति होती है।
Navratri 2024: तीसरे दिन का रंग
तीसरे दिन का रंग ग्रे होता है, जो संतुलन और शांति का प्रतीक है।
ग्रे रंग हमें यह संदेश देता है कि जीवन में हर स्थिति में संतुलन बनाए रखना आवश्यक है।
यह रंग मानसिक स्थिरता और समर्पण का भी प्रतीक है, जो भक्तों को अपनी आस्था और भक्ति में और गहराई लाने के लिए प्रेरित करता है।
देवी चंद्रघंटा की पूजा करते समय भक्त न केवल उनके चरणों में श्रद्धा से सिर झुकाते हैं,
बल्कि उनके प्रति अपनी भक्ति और सच्ची निष्ठा भी प्रकट करते हैं।
इस दिन भक्त देवी चंद्रघंटा को फूल, फल और मिठाई अर्पित करते हैं,
ताकि वे उनकी मनोकामनाएं पूरी करें और उन्हें जीवन में विजय और सफलता का आशीर्वाद दें।
देवी चंद्रघंटा की उपासना
देवी चंद्रघंटा की उपासना से भक्तों में साहस और आत्मविश्वास का संचार होता है।
उनकी पूजा से न केवल भक्ति की भावना जागृत होती है,
बल्कि समाज में महिलाओं की शक्ति और उनकी भूमिका को भी विशेष मान्यता मिलती है।
इस दिन का महत्व न केवल धार्मिक है,
बल्कि यह हमें यह भी सिखाता है कि महिलाएं समाज में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
इस तरह, नवरात्रि का तीसरा दिन हमें देवी चंद्रघंटा की शक्ति, साहस और विवाहित महिलाओं की ताकत का संदेश देता है।
भक्त इस दिन अपने परिवार और समाज के लिए सुख-शांति की कामना करते हैं,
और अपने जीवन में सकारात्मकता लाने का प्रयास करते हैं।
(Disclaimer: यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है, Newspedia24 इसकी पुष्टि नहीं करता है)