चंडीगढ़, 5 मई: भारत और रूस के रिश्तों में एक और महत्वपूर्ण मोड़ आया है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भेजे गए भारत यात्रा के आमंत्रण को ससम्मान स्वीकार कर लिया है। यह फैसला दोनों नेताओं के बीच सोमवार को हुई एक महत्वपूर्ण टेलीफोनिक बातचीत के दौरान लिया गया। इस वार्ता में सिर्फ कूटनीतिक रिश्तों पर ही चर्चा नहीं हुई, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा और द्विपक्षीय सहयोग को लेकर भी गहन बातचीत हुई।
रूसी राष्ट्रपति कार्यालय, यानी क्रेमलिन की ओर से जारी बयान के मुताबिक, राष्ट्रपति पुतिन ने प्रधानमंत्री मोदी को न केवल अपना “अच्छा दोस्त” बताया, बल्कि यह भी कहा कि रूस भारत के साथ अपने रणनीतिक संबंधों को और अधिक मजबूत करना चाहता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि दोनों देशों के बीच की मित्रता किसी बाहरी दबाव या अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों से प्रभावित नहीं होती, बल्कि समय के साथ और भी प्रगाढ़ होती जा रही है।
पुतिन की भारत यात्रा की तारीख फिलहाल तय नहीं की गई है, लेकिन संकेत साफ हैं कि यह दौरा जल्द ही हो सकता है। माना जा रहा है कि इस दौरान रक्षा, व्यापार, ऊर्जा और तकनीकी सहयोग से जुड़े कई बड़े समझौतों पर बातचीत होगी। दोनों देश पहले से ही कई क्षेत्रों में घनिष्ठ साझेदारी कर रहे हैं, और यह यात्रा इस मित्रता को और गहरा करेगी।
पहलगाम आतंकी हमले पर पुतिन की कड़ी प्रतिक्रिया
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम इलाके में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। इस क्रूर हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी। इस दर्दनाक घटना पर राष्ट्रपति पुतिन ने गहरा दुख जताया है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को संवेदनाएं भेजते हुए इस आतंकी हमले की कड़ी निंदा की। पुतिन ने कहा कि निर्दोष लोगों पर इस तरह के कायराना हमलों को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
रूसी राष्ट्रपति की यह टिप्पणी इस बात का संकेत है कि भारत और रूस आतंकवाद के खिलाफ एकजुट रुख अपनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। पुतिन ने स्पष्ट किया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी आतंकवाद के खिलाफ मिलकर काम करना चाहिए।
भारत की सख्त प्रतिक्रिया और सैन्य तैयारियों की समीक्षा
हमले के तुरंत बाद भारत सरकार ने सख्त रुख अपनाया। प्रधानमंत्री मोदी ने सुरक्षा एजेंसियों और सशस्त्र बलों के प्रमुखों के साथ बैठक कर स्थिति की समीक्षा की। रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने पीएम को विस्तार से जानकारी दी। इससे पहले वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी भी प्रधानमंत्री से मिल चुके थे। इन बैठकों में यह स्पष्ट किया गया कि भारतीय सेनाएं हर प्रकार की चुनौती से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
सूत्रों के अनुसार, सीमावर्ती इलाकों में सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है और संभावित खतरे को देखते हुए कई रणनीतिक कदम भी उठाए जा रहे हैं। भारत ने साफ कर दिया है कि वह आतंकवाद के खिलाफ किसी भी कार्रवाई से पीछे नहीं हटेगा।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ‘बंद चर्चा’ की तैयारी
इस गंभीर मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हलचल मची है। पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में इस हमले और भारत-पाक तनाव को उठाने की मांग की है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, UNSC में इस विषय पर ‘बंद कमरे में चर्चा’ यानी closed consultations की योजना बनाई गई है। हालांकि भारत ने पहले ही अपना रुख साफ कर दिया है कि वह आतंकवाद से निपटने के लिए किसी भी कठोर कदम से पीछे नहीं हटेगा।
भारत की यह स्थिति अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी समर्थन पा रही है, और कई देशों ने पहलगाम हमले की निंदा करते हुए भारत के आत्मरक्षा के अधिकार को सही ठहराया है।