मुस्लिम छात्राओं के लिए ड्रेस कोड को लेकर हाल ही में हुए विवाद के केंद्र में कॉलेज प्रशासन से पीठ ने कहा, “छात्राओं को यह चुनने की स्वतंत्रता होनी चाहिए कि वे क्या पहनना चाहती हैं और कॉलेज उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता… यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आपको अचानक एहसास हुआ कि देश में कई धर्म हैं।”
लाइव लॉ के अनुसार, न्यायमूर्ति कुमार ने पूछा, “क्या आप कह सकते हैं कि तिलक लगाने वाले किसी भी व्यक्ति को अनुमति नहीं दी जाएगी? यह आपके निर्देशों का हिस्सा नहीं है?”
विवाद कैसे शुरू हुआ
विवाद 1 मई को शुरू हुआ, जब चेंबूर ट्रॉम्बे एजुकेशन सोसाइटी के एनजी आचार्य और डीके मराठे कॉलेज ने अपने आधिकारिक व्हाट्सएप ग्रुप पर एक नोटिस जारी किया, जिसमें संकाय सदस्य और छात्र शामिल थे। नोटिस में एक ड्रेस कोड की रूपरेखा दी गई थी, जिसमें कॉलेज परिसर में हिजाब, नकाब, बुर्का, टोपी, बैज और स्टोल पहनने पर प्रतिबंध लगाया गया था। याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि निर्देश बिना किसी कानूनी अधिकार के जारी किया गया था और इसलिए यह “गलत, शून्य और कानून में अमान्य” है।