उपायुक्त मोनिका गुप्ता (DC Monica Gupta) के मार्गदर्शन में, सिविल अस्पताल सेक्टर-6 पंचकूला में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत एक विशेष हेल्थ चेकअप शिविर का आयोजन किया गया।
इस शिविर में विशेष रूप से बौद्धिक विकलांगता के बच्चों को बुलाया गया,
ताकि उनकी स्वास्थ्य जांच की जा सके और उनकी समस्याओं का समाधान किया जा सके।
उप सिविल सर्जन डॉ. शिवानी ने बच्चों को सम्मानित किया और उनके माता-पिता को स्वास्थ्य संबंधित जानकारी प्रदान की।
उन्होंने बच्चों के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि
यह अभियान बच्चों के स्वास्थ्य और समग्र विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
डीईआईसी सेंटर: विशेष उपचार की सुविधा
इस शिविर के दौरान डॉ. शिवानी ने बताया कि सिविल अस्पताल में स्थित डीईआईसी सेंटर में बच्चों के सुधार के लिए कई सुविधाएं उपलब्ध हैं।
यहां रेहाबिलिटेशन साइक्लॉजिस्ट द्वारा बच्चों के लिए आईक्यू मूल्यांकन, मनोवैज्ञानिक परीक्षण, अनुकूली व्यवहार कौशल, संवेदी मूल्यांकन
और संज्ञानात्मक विकास जैसी सेवाएं दी जाती हैं।
यह सेंटर बच्चों के विकास में आ रही रुकावटों को पहचानकर उन्हें सही दिशा में सुधारने का काम करता है।
DC Monica Gupta – मोबाइल हेल्थ टीम द्वारा बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जिले के सभी सरकारी स्कूलों
और आंगनबाड़ी केंद्रों में 0 से 18 वर्ष तक के बच्चों का स्वास्थ्य चेकअप मोबाइल हेल्थ टीम द्वारा किया जा रहा है।
इस कार्यक्रम के अंतर्गत, जन्मजात दोष, बचपन की बीमारियां, विकासात्मक देरी, और विकलांगता जैसी समस्याओं का निदान किया जाता है।
सिविल अस्पताल में विशेषज्ञ इलाज की व्यवस्था
अगर किसी बच्चे में जन्मजात दोष या कोई गंभीर समस्या पाई जाती है, तो उसे सिविल अस्पताल सेक्टर-6 स्थित डीईआईसी सेंटर में रेफर किया जाता है,
जहां विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा इलाज किया जाता है।
इसके अलावा, अगर बच्चों को अधिक विशेषज्ञ इलाज की आवश्यकता होती है,
तो उन्हें पीजीआईएमईआर चंडीगढ़, जीएमसीएच-32, और फॉर्टिज अस्पताल मोहाली जैसे प्रतिष्ठित अस्पतालों में भेजा जाता है।
इस कार्यक्रम में स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे, साथ ही बच्चे और उनके माता-पिता ने भी इस शिविर में भाग लिया।
यह शिविर बच्चों के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए एक अहम कदम साबित हो रहा है,
और यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि किसी भी बच्चे को स्वास्थ्य सेवाओं की कमी न हो।