चंडीगढ़, 14 जून: हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है। परंतु आषाढ़ माह की संकष्टी चतुर्थी, जिसे कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है, विशेष पुण्यदायी और मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली मानी जाती है। इस बार यह शुभ तिथि 14 जून 2024 (शुक्रवार) को पड़ी है।
यह दिन भगवान गणेश की उपासना और विशेष साधना का होता है। मान्यता है कि जो भक्त इस दिन पूरे श्रद्धा और नियम से व्रत रखते हैं, गणेश जी उनकी सारी बाधाएं दूर करते हैं और जीवन को सुख, सौभाग्य व सिद्धि से भर देते हैं।
संकष्टी चतुर्थी का महत्व क्यों है विशेष?
गणेश जी को “विघ्नहर्ता” कहा जाता है—जो अपने भक्तों के मार्ग से सभी विघ्नों को दूर करते हैं। संकष्टी चतुर्थी का अर्थ ही होता है—“संकट से मुक्ति दिलाने वाली चतुर्थी”। यह दिन न सिर्फ अध्यात्मिक उन्नति के लिए, बल्कि जीवन के भौतिक और मानसिक कष्टों से छुटकारा पाने के लिए भी अत्यंत लाभकारी माना गया है।
विशेषकर कृष्णपिङ्गल चतुर्थी पर ध्यान, मंत्र जाप, व्रत और दान का विशेष महत्व है।
ये उपाय आज ज़रूर करें, गणेश जी होंगे प्रसन्न
1. गणेश जी को दूर्वा चढ़ाएं – बाधाएं होंगी दूर
गणेश जी को 21 दूर्वा (घास) की गठरी चढ़ाना अत्यंत शुभ माना गया है। यह सरल लेकिन प्रभावशाली उपाय आपके कार्यों में आ रही अड़चनों को समाप्त करता है और सफलता के द्वार खोलता है।
कैसे करें: साफ जल से दूर्वा को धोकर बप्पा को अर्पित करें और “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का 21 बार जाप करें।
2. चंद्रमा को अर्घ्य देना – मन को मिलेगा शांति का वरदान
संकष्टी चतुर्थी पर रात्रि में चंद्र दर्शन के बाद व्रत का पारण किया जाता है। इस समय चंद्रमा को अर्घ्य (जल अर्पण) देने से मानसिक तनाव और कुंठाएं दूर होती हैं।
उपयोगी मंत्र:
“ॐ चन्द्राय नमः” कहते हुए चंद्रमा को अर्घ्य दें।
3. मोदक का भोग लगाएं – इच्छाएं होंगी पूरी
गणपति बप्पा को मोदक अत्यंत प्रिय हैं। संकष्टी चतुर्थी पर मोदक बनाकर या बाज़ार से लाकर गणेश जी को अर्पित करें।
विश्वास है: जो भक्त गणेश जी को मोदक अर्पित करते हैं, उनकी मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती हैं।
4. गणेश मंत्रों का जाप – विशेष इच्छाओं की पूर्ति के लिए
इस दिन निम्न विशेष मंत्र का जाप करें:
“ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा”
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इस मंत्र का 108 बार जाप करें।
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यह मंत्र विशेष रूप से सौभाग्य, वशीकरण, और जीवन में स्थायित्व लाने के लिए उपयोगी है।
5. दान करें – पुण्य और शांति दोनों मिलेगी
संकष्टी चतुर्थी पर दान का भी विशेष महत्व है। किसी गरीब या ज़रूरतमंद को भोजन, फल या वस्त्र दान करना पुण्यदायक माना जाता है।
दान का प्रभाव:
मानसिक संतुलन बढ़ता है
घर में सुख-शांति आती है
नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है
चंद्र दर्शन और व्रत पारण का समय
चंद्रमा उदय का समय (14 जून): रात 9:32 बजे (स्थान के अनुसार थोड़ा अंतर हो सकता है)
इस समय चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण करना चाहिए।
श्रद्धा से करें यह व्रत, मिलेगा सिद्धि और विनायक का आशीर्वाद
संकष्टी चतुर्थी केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक साधना है—अपने आत्मबल को मजबूत करने की, अपने जीवन से विघ्नों को हटाने की, और भगवान गणेश से सीधे जुड़ने की। आज के दिन मन, वचन और कर्म से यदि बप्पा को समर्पित होकर पूजा करें, तो वह हर असंभव को संभव बना सकते हैं।