चंडीगढ़, 6 मई: हरियाणा में हरियाली को बढ़ावा देने और पर्यावरण संरक्षण को लेकर एक बड़ा संदेश देते हुए राज्य के वन, पर्यावरण एवं वन्यजीव मंत्री राव नरबीर सिंह ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि कुंडली-मानेसर-पलवल (KMP) एक्सप्रेसवे के दोनों ओर पौधारोपण अभियान को तेज़ किया जाए। इसके साथ ही उन्होंने सौर ऊर्जा संचालित नलकूप लगाने की वकालत की ताकि पौधों की सिंचाई सतत और पर्यावरण अनुकूल ढंग से की जा सके।
पौधे लगाना नहीं, उन्हें बचाना प्राथमिकता
वन मंत्री ने एक महत्त्वपूर्ण बात पर जोर देते हुए कहा, “पेड़ लगाना लक्ष्य नहीं है, पेड़ बचाना असली लक्ष्य है।” उन्होंने कहा कि यह काम सिर्फ औपचारिकता बनकर न रह जाए, इसके लिए प्रत्येक लगाए गए पौधे की जियो-मैपिंग की जानी चाहिए ताकि उनकी देखरेख सुनिश्चित हो सके और हर पेड़ का रिकॉर्ड सरकार के पास रहे।
केएमपी के साथ-साथ नहरों और क्रैशर जोन में भी हरियाली
राव नरबीर सिंह ने कहा कि नहरों, रजवाहों, और अन्य जल स्रोतों के दोनों ओर भी पौधारोपण को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। साथ ही जहां भी क्रैशर जोन हैं, वहां छायादार और मजबूत प्रजातियों के पेड़ जैसे नीम, पीपल, बरगद, गुलमोहर, अमलताश और कदम लगाए जाएं, जिससे पर्यावरण के साथ-साथ सौंदर्य भी बढ़े।
सीएसआर के तहत उद्योग करें भागीदारी
बैठक में मंत्री ने निर्देश दिया कि एनसीआर में स्थित औद्योगिक इकाइयों को उनके कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) के तहत पौधारोपण अभियान में शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि एनजीओ, आरडब्ल्यूए और अन्य संस्थाओं के साथ मिलकर कार्य करें ताकि शहरी क्षेत्रों में भी ऑक्सीवन परियोजनाओं को बल मिले और खुली जमीनें कचरे से नहीं, पेड़ों से ढकी नजर आएं।
‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान को बनाएं व्यक्तिगत संकल्प
राव नरबीर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान को जनआंदोलन बनाने की अपील की। उन्होंने कहा, “हर नागरिक को चाहिए कि अपने जन्मदिन, सालगिरह या माता-पिता के जन्मदिन पर एक पौधा अवश्य लगाएं और कम से कम 3 से 4 वर्षों तक उसकी देखभाल करें, जब तक वह पेड़ जड़ न पकड़ ले। यही सच्चा योगदान है पर्यावरण और प्रकृति के प्रति।”
वन महोत्सव की तैयारियां जोरों पर
यह निर्देश उस समय दिए गए जब राव नरबीर सिंह वन विभाग के अधिकारियों के साथ आगामी ‘वन महोत्सव’ की समीक्षा बैठक कर रहे थे। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस बार का पौधारोपण केवल संख्या तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि गुणवत्ता, देखरेख और दीर्घकालिक प्रभाव पर जोर दिया जाएगा।