kiran verma : Blood Donation के प्रति जागरूकता का मिशन

kiran verma

कहते हैं कि जुनून और इच्छा शक्ति से इंसान असंभव को संभव बना सकता है। ऐसे ही एक प्रेरणादायक उदाहरण हैं kiran verma, जिन्होंने संसाधनों की कमी के बावजूद 21,000 किलोमीटर से अधिक की पैदल यात्रा की।

इस यात्रा का उद्देश्य ब्लड डोनेशन के महत्व को उजागर करना और देशभर में ब्लड डोनेट करने के लिए लोगों को जागरूक करना है।

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kiran verma ने अपनी यात्रा की शुरुआत तिरुवनंतपुरम से की

किरण वर्मा ने अपनी यात्रा की शुरुआत 28 दिसंबर 2021 को केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से की थी।

उन्होंने 24 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 270 जिलों से होते हुए 21,250 किलोमीटर की यात्रा पूरी की और अब चंडीगढ़ पहुंच चुके हैं।

उनका लक्ष्य है कि दिसंबर 2025 तक पांच मिलियन ब्लड डोनर्स तैयार किए जाएं।

उनकी इस यात्रा और मिशन को कई प्रमुख हस्तियों, जैसे कपिल शर्मा और अन्य सितारों, ने सराहा है।

किरण वर्मा के जीवन में भी ऐसा ही एक पल आया

हर बड़ी कहानी में एक ऐसा पल होता है जो पात्र को सोचने पर मजबूर करता है

और उसे बदलाव की दिशा में प्रेरित करता है।

किरण वर्मा के जीवन में भी ऐसा ही एक पल आया

जब उन्होंने ब्लड डोनेशन के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझा।

उन्होंने बताया कि 2016 में रायपुर की एक महिला की मदद की,

जिनके पति को ब्लड की सख्त जरूरत थी।

किरण ने ब्लड डोनेट किया, लेकिन जब महिला ने बताया कि

उसने अपने पति के इलाज के लिए शरीर बेचा,

तो उन्होंने इस स्थिति को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की।

AIIMS में 14 साल के एक बच्चे की मृत्यु

इसी तरह, 2017 में दिल्ली के AIIMS में 14 साल के एक बच्चे की मृत्यु हो गई

क्योंकि वक्त पर प्लेटलेट्स नहीं मिल पाए।

किरण ने बताया कि इस घटना ने उन्हें गहरे रूप से प्रभावित किया,

खासकर तब जब उनके अपने घर में पहला बच्चा आने वाला था।

इससे उन्हें एहसास हुआ कि ऐसी समस्याएं किसी के साथ भी हो सकती हैं

और उन्होंने बड़े बदलाव के लिए कदम उठाने का फैसला किया,

जिसमें उनके परिवार ने उनका पूरा समर्थन किया।

‘सिंपली ब्लड’ नामक NGO की स्थापना

किरण ने अपनी नौकरी छोड़कर ‘सिंपली ब्लड’ नामक NGO की स्थापना की, जिसके तहत अब 2 लाख से अधिक ब्लड डोनर रजिस्टर्ड हैं।

उनकी पूरी यात्रा का मकसद है कि देशभर में ब्लड डोनेशन के महत्व को बढ़ावा दिया जाए।

उनका कहना है, “सरकार अस्पताल बना सकती है, ब्लड बैंक बना सकती है, लेकिन ब्लड नहीं बना सकती।

इसके लिए हमें ही आगे आना पड़ेगा।”

सामाजिक जिम्मेदारी और मानवता की सेवा का प्रतीक

किरण वर्मा का यह प्रयास केवल एक लंबी यात्रा नहीं है, बल्कि यह सामाजिक जिम्मेदारी और मानवता की सेवा का प्रतीक है।

उनकी यात्रा ने ब्लड डोनेशन के महत्व को सामने लाने के साथ-साथ समाज में एक सकारात्मक बदलाव की दिशा में भी कदम बढ़ाया है।

उनकी इस पहल से उम्मीद है कि लोग ब्लड डोनेशन के प्रति जागरूक होंगे और समय पर ब्लड न मिलने के कारण किसी की मृत्यु नहीं होगी।