चंडीगढ़, 31 मार्च: कैथल में करोड़ों रुपए के भूमि घोटाले ने विवादों को जन्म दे दिया है। सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाने के इस मामले को लेकर जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) ने तत्काल उच्च स्तरीय जांच और जमीन की नीलामी को रद्द करने की मांग की है।
घोटाले का खुलासा करते हुए जेजेपी नेता रणदीप कौल ने आरोप लगाया कि 100 करोड़ रुपए की बाजार कीमत वाली जमीन को मात्र 12.75 करोड़ रुपए में बेच दिया गया, जिससे सरकारी खजाने को लाखों रुपए का नुकसान हुआ है। रणदीप कौल ने सवाल उठाया, “इतना बड़ा घोटाला है, तो सत्ता में बैठे लोग और विपक्षी दल चुप्पी क्यों साधे हुए हैं?”
जेजेपी नेता ने यह भी खुलासा किया कि सोसाइटी के कई सदस्य भूमाफियाओं के दबाव में आकर सामने आने से डर रहे हैं। उनके पास इस घोटाले से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेज भी हैं, जिन्हें जल्द ही मीडिया के सामने लाया जाएगा।
घोटाले की पूरी कहानी:
यह विवादित जमीन डीसी कॉलोनी कोऑपरेटिव हाउसिंग बिल्डिंग सोसाइटी की है, जो 1991 में 161 सदस्यों द्वारा बनाई गई थी। सोसाइटी ने 31 कनाल 19 मरले जमीन को 10 लाख रुपए में खरीदा था और 1.25 लाख रुपए की स्टांप ड्यूटी चुकाई थी।
हालांकि, सोसाइटी में विवाद शुरू हुआ और 1992 में करनाल मंडल में केस दर्ज हुआ, जिसके बाद प्रशासन ने एक प्रशासक नियुक्त किया। 2003 से 2013 के बीच कई बार नीलामी के प्रयास किए गए, लेकिन नियमों की अनदेखी होती रही।
नीलामी में अनियमितताएं:
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6 मार्च 2025 को नीलामी का शेड्यूल जारी किया गया, लेकिन इसके लिए केवल एक स्थानीय अखबार में विज्ञापन दिया गया।
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नियमानुसार बोली लगाने के लिए एक महीने का समय मिलना चाहिए था, लेकिन वह नहीं दिया गया।
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19 मार्च को बोली का समय सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक था, लेकिन यह समय के बाद भी जारी रही।
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8 आवेदकों को दबाव में बोली लगाने से रोका गया, जिससे बोली में प्रतिस्पर्धा खत्म हो गई।
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अंत में बोली 2:35 बजे मात्र 12.75 करोड़ रुपए में बंद कर दी गई, जबकि जमीन का बाजार मूल्य 100 करोड़ रुपए से ज्यादा था।
जेजेपी ने उठाई ये मांगें:
जेजेपी नेता रणदीप कौल ने सोमवार को जिला प्रशासन कैथल के सामने यह पूरा मामला रखा और उच्च स्तरीय जांच की मांग की। इस मौके पर जेजेपी के अन्य नेताओं में अवतार चीका, धूप सिंह माजरा, बलवान कोटड़ा, राजू पाई, कृष्ण बाजीगर आदि मौजूद थे।
रणदीप कौल ने कहा:
“यह घोटाला न सिर्फ सरकारी खजाने के लिए बड़ा नुकसान है, बल्कि यह भी सवाल उठाता है कि सत्ता में बैठे लोग और प्रशासन इस मामले पर चुप क्यों हैं। हम इस घोटाले के सभी तथ्यों को उजागर करेंगे और दोषियों को सजा दिलाने तक पीछे नहीं हटेंगे।”
क्या यह घोटाला प्रशासन की नजर से ओझल रहेगा, या फिर जिम्मेदारों को सजा मिलेगी? अब देखना यह होगा कि इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होती है।